मिर्गी का अर्थ (2 प्रकार, 100 नाम!!!) Epilepsy meaning in Hindi

Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) अर्थ है, बार-बार सीज़र का दौरा होने की बीमारी.

कृपया ये लेख पढ़ने से पाहिले, Seizure meaning in Hindi (सीज़र के दौरे का अर्थ) का लेख जरूर पड़े. सीज़र दौरे का अर्थ जानने के बाद ही, आप एपिलेप्सी शब्द का अर्थ जान पाएंगे.

मिर्गी की बीमारी के दो मुख्य प्रकार है:

मिर्गी के २ प्रकार
१ . फोकल सीज़र – छोटा सीज़र जो दिमाग के एक छोटे से भाग से शुरू होता है, और अक्सर वहीँ पर सिमित रहता है.
२ . जनरलाइज़्ड सीज़र – बड़ा सीज़र दो पुरे दिमाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी की अगणित चिंगारियां जलाता है.

मिर्गी की बीमारी होने पर २ जांच किये जाते है:

मिर्गी की २ जांच
१ . MRI – दिमाग की एक तस्वीर
२ . EEG – दिमाग के इलेक्ट्रिसिटी की जांच

और मिर्गी का इलाज हम दो हिस्सों में बाट सकते है:

मिर्गी के २ इलाज
१ . दवाइयां: २० से अधिक दवाइयां उपलब्ध है.
२ . सर्जरी: रेसेक्टिव सर्जरी, VNS, DBS ऐसी कई सर्जरी उपलब्ध है.

मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं (Epilepsy specialist in India) भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं, भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) करता हूं।

सीज़र का दौरा और एपिलेप्सी (मिर्गी) में फरक:

जैसे, इस व्यक्ति को देखिये. पुरे दिमाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी फैलने के कारण इनका पूरा शरीर जोर-जोर से हिल रहा है.

सीज़र का बड़ा दौरा आम तोर पे सिर्फ १-२ मिनिट लम्बा होता है.

सीज़र का दौरा होना एक घटना है. दौरा एक या दो मिनिट तक रहता है, और फिर चला जाता है. मरीज़ १०-२० मिनिट में ठीक-ठाक हो जाता है.

मगर ऐसा अगर बार-बार होता है, तो फिर ये किस बात का संकेत है?

ऐसा होना इस बात का संकेत है, के आपके दिमाग को सीज़र होने की प्रवृत्ति है.

इस प्रवृत्ति को, इस बार-बार सीज़र होने की आदत को अंग्रेजी में “एपिलेप्सी” कहते है. हिंदी में इसीको “मिर्गी का रोग” कहते है.

फरक अब साफ़ है:

  • एपिलेप्सी (मिर्गी) बीमारी का नाम है.
  • बार-बार होने वाली घटना को दौरा (सीज़र) कहते है.

अब आप जान चुके होंगे, के Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) और Seizure meaning in Hindi (सीज़र के दौरे का अर्थ) के दो अलग-अलग लेख क्यों है.

किसी व्यक्ति को सीज़र ही होता है, ये कैसे पता लगते है?

कई आकस्मिक बीमारियां सीज़र की तरह दिखाई पड़ सकती है. जैसे अगर आपके दिमाग को ह्रदय की बीमारी की वजह से अचानक खून ना मिले, तो आप आकस्मिक रूप से बेहोश हो सकते है! अगर आपको पैरासोमनिआ नाम की बीमारी है, तो आप रात को सपने देख कर चिल्लाते हुए उठ सकते है!

लेकिन याद कीजिये: सीज़र का दौरा दिमाग में अनियंत्रत इलेक्ट्रिसिटी के कारन होता है. इन अन्य कारणों में ऐसी अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी नहीं होती.

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पर जब मरीज़ दवाखाने में डॉक्टर से मिलता है, तो डॉक्टर उन्हें कई छोटी छोटी चीज़े पूंछता है. अगर मरीज़ को ऐसे दौरे हो रहे है जिनमे:

  • पूर्व-संकेत होता है (जैसे दुर्गन्ध, या बहोत डर, या दृश्य-भास, या कप-कपि)
  • १-२ मिनिट मरीज़ अनुत्तरदायी हो जाता है
  • १-२ मिनिट तक शरीर जोरो से हिलता है, मगर आँखे खुली रहती है
  • घटना ख़तम हो जाने के बाद, मरीज़ को १५-४५ में ठीक होने में लगते है

तो ये सीज़र के दौरे होने की सम्भावना ज़्यादा, और कोई और बीमारी होने की सम्भावना कम होती है.

कभी-कभी, डॉक्टर भी नहीं बता सकते के मरीज़ की घटनाए सीज़र के दौरे है, या कोई और बीमारी. ऐसे समय पर, लॉन्ग-टर्म-वीडियो-EEG करवाना चाहिए.

किसी व्यक्ति को एपिलेप्सी (मिर्गी) की बीमारी है ये कैसे पता लगता है?

Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) मैं आपको बिलकुल सरल शब्दों में बताता हूँ.

समझिये के आप डॉक्टर है, और में मरीज़.

समझिये के मुझे बार-बार सीज़र का दौरा आता है. तो आप कहेंगे के ये बात साफ़ है मेरे दिमाग को बार-बार सीज़र होने की प्रवृत्ति है. आप कहेंगे के मुझे “एपिलेप्सी (मिर्गी)” है. और आप मुझे फिरसे सीज़र का दौरा ना होने की दवाइयां देंगे.

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मगर समझिये मुझे एक ही बार, या पहिली बार सीज़र का दौरा आता है. फिर?

अब में तो आपसे कहूंगा ना, के भाई:

“अब क्या अगले दौरे की राह देखु ? कोई तो जांच होगी आप के पास, जिससे मेरे दिमाग को फिरसे सीज़र होने की प्रवृत्ति है के नहीं वह पता लग पाए ???”

और मेरी बात सही भी होगी. ऐसे टेस्ट्स/परिक्षण हमारे पास उपलब्ध है. इनमे दो मुख्या है, एम-आर-आय (MRI) और इ-इ-जी (EEG).

EEG for Epilepsy in hindi

 

ये परिक्षण हर उस व्यक्ति में किये जाते है, जिनको सीज़र का दौरा होता है.

  • अगर आपको एपिलेप्सी (मिर्गी) की बीमारी है तो ये परिक्षण उसका कारण ढूंढ सकते है.
  • अगर आपको एक ही बार सीज़र का दौरा हुआ हो, तो ये परिक्षण आपको फिरसे दौरा होने की सम्भावना (एपिलेप्सी/मिर्गी) है के नहीं बता सकते है.

पर इनके बारे में बात करने से पाहिले, आइये Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) पूरी तरह समझने एपिलेप्सी के प्रकार समझे.

एपिलेप्सी के प्रकार (Types of Epilepsy meaning in Hindi)

आइये types of Epilepsy meaning in Hindi – मिर्गी के प्रकार, हिंदी में – जानते है.

एपिलेप्सी के प्रकार समझने से पाहिले, आपको Seizure meaning in Hindi (सीज़र दौरे का अर्थ) का लेख पढ़ना पड़ेगा.

जिस प्रकार के सीज़र होते है, मरीज़ को उस प्रकार की एपिलेप्सी (मिर्गी) का नाम दिया जाता है. उदहारण के तोर पर:

सीज़र का नामएपिलेप्सी का प्रकार
एब्सेंट (पेटिट-माल) सीज़रएब्सेंट एपिलेप्सी (या आबसाँस एपिलेप्सी)
मायो-क्लोनिक सीज़रमायो-क्लोनिक एपिलेप्सी

अगर मरीज़ में एहि बीमारी किशोर आयु (१०-१८ साल) की उम्र में शुरू होती है तो इसे “जुवेनाइल मायो-क्लोनिक एपिलेप्सी” (JME) कहते है.

गेलास्टिक सीज़रगेलास्टिक एपिलेप्सी

जैसे, इस लड़के  को देखिये. ये बिच में ही कहीं खो जाती है, इसे दृश्य-भास् (दुःस्वप्न) हो जाता है. इसे आबसाँस एपिलेप्सी कहते है.

यू-ट्यूब – डॉक्टर राजीव गुप्ता के द्वारा वीडियो:

 

कभी-कभी एपिलेप्सी (मिर्गी) का नाम दिमाग के कौनसे हिस्से से सीज़र (दौरे) आ रहे है उस पर निर्भर होता है.

दिमाग के चार मुख्य हिस्से होते है –

  • आँखों के ऊपर “फ्रंटल लोब”
  • कानो के निचे “टेम्पोरल लोब”
  • और पीछे की तरफ “परायटल लोब” और “ऑक्सिपिटल लोब”
सीज़र का नामएपिलेप्सी का प्रकार
डेजा-वू सीज़र

जामे-वू सीज़र

ऐसे सीज़र के दौरे अक्सर “टेम्पोरल लोब” से आने वाली एपिलेप्सी, याने के “टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी” में होते है.
हाइपर-कायनेटिक सीज़रऐसे सीज़र के दौरे अक्सर “फ्रंटल लोब एपिलेप्सी” में होते है. कभी-कभी ये “टेम्पोरल एपिलेप्सी” या “परायटल लोब एपिलेप्सी” से भी हो सकते है.
गेलास्टिक सीज़रऐसे सीज़र के दौरे अक्सर “टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी” में होते है.

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इत्यादि…

और आखिरकार, थोड़े लोगों को कई अलग-अलग प्रकार के सीज़र हो सकते है. थोड़े लोगों में, एपिलेप्सी के नाम अन्य चीज़ो पे – जैसी की दिमाग की सोचने की क्षमता, अनुवांशिकता इत्यादि पे निर्भर होते है.

उधारण के तोर पे:

एपिलेप्सी का प्रकारमतलब
स्टुर्ग़ – वेबर सिंड्रोमइसमें बच्चे को सीज़र के दौरों के आलावा चेहरे पे लाल डाग भी होता है.
लेंनोक्स-गस्टाउट सिंड्रोमबच्चे को अलग अलग प्रकार के सीज़र होते है (टॉनिक, ए-टॉनिक,मयोक्लोनिक, ड्रॉप-अटैक इत्यादि) और इन्हे काबू में करना मुश्किल होता है.
लैंडो-क्लेफनर सिंड्रोमइसमें बच्चे को सीज़र के दौरों के आलावा बात करने की क्षमता भी धीरे-धीरे जाने लगती है. वक्त पे एपिलेप्सी का उपचार ना किया जाए, तो बच्चा गूंगा होने से बच जाता है!

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ऐसे अनेक एपिलेप्सी के नाम है, और कई अनेक हर ५ सालों में नए नाम उभर कर आते है. अगर आप इन नामो का विस्तार में अभ्यास करना चाहते है, तो यहाँ दबाए: [अलग वेबसाइट पे विस्तार में लिखा हुआ लेख, अंग्रेजी में]

सीज़र के दौरे की जांच (Investigation of Epilepsy meaning in Hindi)

Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) का सही अर्थ क्या है, ये जानने के लिए इसकी जांच भी पता होनी चाहिए.

अगर किसीको सीज़र का दौरा आता है, तो कम से कम दो परिक्षण करने चाहिए:

१) एम-आर-आय (MRI – Magnetic Resonance Imaging)

एम-आर-आय एक मशीन होती है, जो दिमाग की बारीक तस्वीर खींचती है.

ये देखिये एम-आर-आय मशीन:

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एम-आर-आय से दिमाग की बारीक चीज़े दिखती है. एम-आर-आय से दिमाग की रचना में विकृति हो, बचपन में बड़ी चोट लगी हो, मस्तिष्क का ट्यूमर इत्यादि सारी चीज़े दिखाई देती है.

ऐसी चीज़ो के उधारण देखिये.

तीन बातें समझने जैसी है:

१. एम-आर-आय सब जगह उपलब्ध नहीं होता. इसलिए थोड़े डॉक्टर दिमाग की तस्वीर निकलने के लिए सी-टी स्कैन का उपयोग करते है. पर सी-टी की तस्वीर एम-आर-आय जितनी बारीक नहीं होती. इसीलिए मेरी राय में, हर एपिलेप्सी/सीज़र के मरीज़ ने एम-आर-आय निकलवाना चाहिए.

२. “३ टेस्ला” नाम का एम-आर-आय आम तौर के एम-आर-आय से अच्छी तस्वीरें लेता है.

३. एम-आर-आय भी अति-सूक्ष्म चीज़े नहीं देख सकता. सीज़र/एपिलेप्सी के ५०% मरीज़ों में एम-आर-आय नॉर्मल दिखाई पड़ता है. नॉर्मल एम-आर-आय एक खुश खबरि है. इसका मतलब ये है के आपके दिमाग की तकलीफ इतनी छोटी है, के वह एम-आर-आय पर भी नहीं नज़र आ रही!

२) इ-इ-जी (EEG)

इ-इ-जी दिमाग के इलेक्ट्रिसिटी को नापता है.

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EEG can help to differentiate between Epileptic and Non-Epileptic seizures (PNES)

 

अगर किसी जगह की इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित है, तो वह इ-इ-जी पर दिखाई देती है.

ये देखिये, एक मरीज़ पर इ-इ-जी होते हुए.

इसमें भी, तीन बातें समझने जैसी है:

१. इ-इ-जी सिर्फ इलेक्ट्रिसिटी को नापता है. इस मशीन में ना तो कोई इलेक्ट्रिसिटी बनती है, और ना ही दिमाग को कोई तकलीफ होने का डर रहता है.

२. इ-इ-जी दिमाग के अति-सूक्ष्म इलेक्ट्रिसिटी को नाप नहीं सकता. सीज़र/एपिलेप्सी के ५०% मरीज़ों में इ-इ-जी भी नॉर्मल दिखाई पड़ता है.

३. लम्बा इ-इ-जी (उधारणार्थ ४ घंटे का इ-इ-जी) करने से अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी को ताड़ने की क्षमता बढ़ जाती है.

४. इ-इ-जी के पूर्व-रात्रि कम सोने से अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी को ताड़ने की क्षमता बढ़ जाती है. पर ऐसा तभी करे, अगर आपको आपके डॉक्टर ने इ-इ-जी के पाहिले कम सोने को कहा हो.

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अन्य परिक्षण:

आम तौर पे सीज़र/मिर्गी के लिए इससे ज़्यादा परिक्षण की जरूरत नहीं होती.

थोड़े बच्चों को खून में रसायनो कम-ज़्यादा होने से सीज़र/दौरे की बीमारी हो सकती है. इन्हे खून के परीक्षणों की की जरूरत हो सकती है.

अगर आपका निदान स्पष्ट नहीं है या फिर आपके सीज़र दवाइयों से नियंत्रित नहीं हो रहे – तो डॉक्टर आपको लॉन्ग-टर्म-वीडियो-EEG करने कहेंगे.

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लॉन्ग-टर्म-वीडियो-EEG में मरीज़ को हॉस्पिटल में भर्ती किया जाता है. २ से ७ दिन तक उसके दिमाग की इलेक्ट्रिसिटी का एकदम गहराईसे अभ्यास किया जाता है. सीज़र/एपिलेप्सी के निदान के लिए ये सबसे बढ़िया परिक्षण है. पर क्यों के इसमें थोड़े दिन बीत जाते है, और थोड़े पैसे लग जाते है – इसलिए ये सब में इस्तमाल नहीं किया जाता.

Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) समझने का एक और पड़ाव अपने पार कर दिया!

आइये अब इलाज के और बढ़ते है.

सीज़र के दौरे का इलाज (Treatment of Epilepsy meaning in Hindi)

Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) अब आप जान गए, इसके लिए कौनसे परिक्षण करने है ये भी आप जान गए.

अब इलाज की ओर बढ़ते है.

१) सीज़र की दवाइयां:

आम तौर पे, सीज़र के दौरे का इलाज दवाइयों से हो जाता है.

सीज़र के लिए कई दवाइयां उपलब्ध है. अंग्रेजी में सीज़र की दवाइयों की बड़ी सूचि यहाँ दी गयी है: [यहाँ दबाए].

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इनमे, सीज़र के ये दवाइयां सबसे आम है:

अंग्रेजी और नामटिपण्णी
Phenobarbital

फिनोबार्बिटाल – उदा. गार्डीनल इत्यादि

पुरानी दवाइयां. आज-कल इनका प्रयोग कम हो गया है.
Phenytoin

फिनेटोइन – उदा. एपटोइन इत्यादि

पुरानी दवाई और दुष्परिणाम भी हो सकते है. मगर क्यों के ये बहोत सस्ती है, और काफी असरदार है, इसलिए इसे आज भी डॉक्टर इस्तेमाल करते है.
Carbamazepine, Oxcarbazepine

कार्बमेंजेपीन, ऑक्सकार्बजेपीन – उदा. तेग्रीटेल, ऑक्सिटोल इत्यादि

नयी दवाइयां. उचित मरीज़ों में बहुत प्रभावी.
Valproate

वेलप्रोएट – उदा. दीपकोटे, वाल्परिन इत्यांदि

नयी दवाइयां. उचित मरीज़ों में बहुत प्रभावी.
Levetiracetam, Brivaracetam

लेवेटीरा-सीटाम, ब्रिवारा-सीटाम – उदा लेविपिल, लेवेरा, ब्रेविपिल, ब्रीवीएक्ट इत्यादि

आधुनिक दवाइयां. बहुत कम दुष्परिणाम, पर इनसे थोड़े मरीज़ों का गुस्सा बढ़ सकता है.

आपके सीज़र के लक्षणों के आधार के अनुसार, शरीर की घटना के अनुसार, स्वभाव के अनुसार, सोचने की शक्ति के अनुसार, डॉक्टर इनमे से कोई एक या दो दवाइयां चुनता है.

फिर भी, हो सकता है के पहली दवाई का असर ना हो. फिरसे अगर डॉक्टर अच्छी तरह से सोचकर दूसरी दवाई लिखे, फिर भी हो सकता है की  फिरसे दवाई का असर ना मिले.

ये सीज़र की बीमारी का दोष है, डॉक्टर का नहीं.

ऐसे सीज़र की बीमारी को “रिफ्रैक्टरी एपिलेप्सी” कहते है. ऐसे मरीज़ों को सीज़र सर्जरी की जरूरत होती है.

अगर २-३ दवाइयों से सीज़र के दौरे बंद ना हो जाए, तो सीज़र सर्जरी के बारे में जरूर सोचना चाइये.

२) सीज़र सर्जरी (एपिलेप्सी सर्जरी)

अगर दवाइयों से सीज़र के दौरे बंद नहीं होते, तो सर्जरी के बारे में सोचना चाहिए.

सर्जरी में दिमाग के एक छोटे से भाग को निकाला जाता है, जहाँ से अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी का उत्पादन हो रहा है. ऐसा करने से सीज़र के दौरे रुक जाते है. दिमाग के अच्छे हिस्से बराबर से काम कर सकते है.

Temporal lobectomy surgery

सीज़र-सर्जरी ध्यान लगाकर, बहोत सोच-विचार के बाद करनी होती है ताकि सर्जरी के बाद सीज़र के दौरे सच में रुक जाए.

वेगस-नर्व-स्टिमुलेटर

फिर भी थोड़े लोगों में या तो दिमाग के एक भाग को निकलना संभव नहीं होती, या फिर निकलने के बाद भी सीज़र के दौरे आते रहते है. ऐसे लोगों ने वेगस-नर्व-स्टिमुलेटर (Vagus Nerve Stimulator in Hindi – VNS) के बारे में सोचना चाहिए.

VNS Vagus Nerve Stimulator

वेगस-नर्व-स्टिमुलेटर एक छोटीसी बैटरी होती है, जो छाती के चमड़ी के निचे लगायी जाती है. इससे निकलने वाली बारीक़ वायर गर्दन के चमड़ी के निचे की बारीक़ नस (वेगस) तक जाती है. इसे उपकरण को लगाने की प्रक्रिया बिलकुल छोटी होती है.

बैटरी से निकलने वाले बारीक़ करंट से दिमाग संतुलन में रहता है, और सीज़र के दौरे कम होते है. ५०% मरीज़ों में सीज़र की मात्रा ५०% से घट जाती है, और लग-भग २०% मरीज़ों में सीज़र के दौरे पूरी तरह रुक जाते है.

संक्षेप में:

१. Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) समझने से पाहिले Seizure meaning in Hindi (सीज़र दौरे का अर्थ) का लेख पढ़ना जरूरी है.

२. सीज़र का दौरा और एपिलेप्सी (मिर्गी) अलग-अलग चीज़े है.

३. सीज़र का दौरा १-२ मिनिट लम्बी घटना को कहते है.

४. Epilepsy meaning in Hindi (मिर्गी का अर्थ) है बार-बार सीज़र होने की दिमाग के प्रवृत्ति.

५. एपिलेप्सी के अलग-अलग प्रकार है. इसके इतने प्रकार है, के इन सबके बारे में यहाँ बताना असंभव है.

एपिलेप्सी की जांच:

१. एम-आर-आय दिमाग की तस्वीर लेता है. “३ टेस्ला” एम-आर-आय अति-उत्तम होता है.

२. इ-इ-जी दिमाग के इलेक्ट्रिसिटी को नापता है.

एपिलेप्सी का उपचार:

१. सीज़र/एपिलेप्सी के उपचार के लिए कई दवाइयां उपलब्ध है.

२. अगर २-३ दवाइयां असफल हो,तो सीज़र सर्जरी, वेगस-नर्व-स्टिमुलेटर (VNS) के बारे में सोचना चाहिए.

३. सीज़र सर्जरी या VNS की १००% गारंटी पूरी दुनिया में कोई नहीं दे सकता. पर ध्यान से, मन लगाकर ये उपचार करने से काफी मरीज़ों को बहोत लाभ होता है.

 

पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े

१. Tremors Meaning in Hindi [ हाथ-पांव की कंपन का मतलब और कारण! ]
२. Parkinson's Meaning in Hindi [ पार्किंसंस रोग का अर्थ ]
३. Parkinson’s symptoms in Hindi [पार्किंसंस रोग के लक्षण]
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५. Parkinson's new treatment (DBS) in Hindi [पार्किंसंस रोग नए उपचार]
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!!

डॉ सिद्धार्थ खारकर

डॉ  सिद्धार्थ खारकर को "आउटलुक इंडिया" और "इंडिया टुडे" जैसी पत्रिकाओं ने मुंबई के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट्स में से एक के तोर पे पहचाना है.

डॉक्टर सिद्धार्थ खारकर न्यूरोलॉजिस्ट, मिर्गी  (एपिलेप्सी) विशेषज्ञ और पार्किंसंस विशेषज्ञ है।

उन्होंने भारत, अमेरिका और इंग्लॅण्ड के सर्वोत्तम अस्पतालों में शिक्षण प्राप्त किया है।  विदेश में  कई साल काम करने के बाद, वह भारत लौटे, और अभी मुंबई महरारष्ट्र में बसे है।

डॉक्टर सिद्धार्थ खारकर अंतरराष्ट्रीय पार्किंसंस और मूवमेंट डिसऑर्डर सोसाइटी के एक संशोधन गट के अंतरराष्ट्रीय संचालक है.

फोन 022-4897-1800

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