एपिलेप्सी के कारण, निदान और उपाय के बारे में ये जानकारी में अपने क्लिनिक के मरीज़ों को देता हूँ.
मुझे आशा है ये जानकारी आपको उपयोगी होगी।
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अगर आपको बहुत विस्तार में जानकारी की जरूरत हो, तो यहाँ क्लिक करे: Epilepsy Patient Guide.
मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं (Epilepsy specialist in India) भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं, भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) करता हूं।
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दिमाग के अंदर बिजली का काम क्या होता है?
हमारे दिमाग का हर हिस्सा एक-दूसरे से बिजली के करंट के ज़रिए संपर्क करता है।
ये करंट बहुत ही सख्ती से नियंत्रित होते हैं।
उदाहरण के लिए, जब आप हाथ हिलाना चाहते हैं, तो करंट का एक छोटा-सा हिस्सा दिमाग के उस क्षेत्र में भेजा जाता है जो हाथ को नियंत्रित करता है।
इसलिए, आपका हाथ तभी हिलता है जब आप उसे हिलाना चाहते हैं।
सीज़र का दौरा क्या होता है?
कभी-कभी, दिमाग का एक छोटा-सा हिस्सा हद से ज़्यादा बिजली का करंट पैदा करने लगता है।
जब हद से ज़्यादा करंट बहने लगता है, तो असामान्य चीज़े होने लगती हैं।
उदाहरण के लिए, आपका हाथ बेवजह हिलने लग सकता है। या फिर आपमें किसी भी तरह की कोई भी हलचल नहीं दिखती। यह एक “छोटा दौरा” है।
बाद में, यह असामान्य करंट दिमाग के दूसरे हिस्सों में फैल सकता है।
इस चरण में पूरा का पूरा शरीर ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगता है। यह एक सीज़र का “बड़ा दौरा” है।
किसी को सीज़र का दौरा पडता है तो मुझे क्या करना होगा?
सबसे ज़रुरी बात है पेशंट को चोट लगने से बचाना।
- शांत रहिए।
- कठोर प्रकार के फर्निचर को व्यक्ति से दूर कीजिए।
- सिर को ज़मीन से टकराने से बचाइए।
- व्यक्ति को एक करवट सुलाइए। अगर वह उलटी करता है तो उलटी ज़मीन पर गिरनी चाहिए।
- मुँह के अंदर कोई भी चीज़ मत डालिए। वह चीज़ फेफड़ों के अंदर जा सकती हैं।
- इंतज़ार कीजिए। 1-2 मिनट में दौरा रुक जाना चाहिए। दौरा पूरी तरह रुकने के बाद, अपनी उँगली से पेशंट का मुँह साफ कीजिए।
- पेशंट होश में आने तक इंतज़ार कीजिए। पूरी तरह होश में आने से पहले पानी या खाना मत दीजिए।
भारत में सीज़र के दौरे को किन नामों से बुलाया जाता है?
दौरे को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है
- आकड़ी– (मराठी)
- ऐपिलेप्सी– (हिंदी)
- खेंच – (गुजराती)
- फिट – (दूसरी कई भाषाओं में)
ऐपिलेप्सी क्या है?
दौरा, एक बार घटनेवाली घटना है।
अगर एक व्यक्ति को बार-बार दौरा पडने की प्रवृत्ती है, तो हम कह सकते हैं कि उसे ऐपिलेप्सी की बीमारी है।
इसलिए, आप कह सकते हैं, कि “ऐपिलेप्सी वाले व्यक्ती को दौरे पडते है”। भारतीय भाषाओं में ऐपिलेप्सी के लिए कोई एक सटीक शब्द नहीं है।
आप कब कह सकते हैं कि एक व्यक्ति को ऐपिलेप्सी की बीमारी है?
इसे समझने का एकदम आसान पहला तरीका।
दरअसल, अगर एक व्यक्ति को बार-बार दौरे पडते है, तो उसे ऐपिलेप्सी की बीमारी है (दौरे पडने की आदत)।
एक व्यक्ति को ऐपिलेप्सी है या नहीं यह जाँचने के लिए कौन से टेस्ट इस्तेमाल किए जाते हैं?
आम तौर पर दो टेस्ट किए जाते हैं:
- एमआरआई — इससे दिमाग में असामान्य धब्बे देखे जा सकते हैं।
“3 टेस्ला (3T)” एमआरआई बहुत छोटी बातों को दिखा सकता है। लेकिन 3T एमआरआई भी बहुत ही सूक्ष्म बातों को नहीं दिखाता. इसका मतलब है कि ये बातें इतनी छोटी होती है कि सबसे अच्छे एमआरआई से भी ये नहीं दिखती।
- ईईजी – यह बिजली के स्पार्क दिखा सकता है।अगर कभी-कभार बिजली के स्पार्क होते हैं, तो ईईजी सामान्य आ सकता है। लंबी अवधी का ईईजी बहुत आसानी से स्पार्क्स का पता लग सकता है।
मैं आपको बहुत लंबी अवधी का (4 घंटे) ईईजी करने और टेस्ट से पहले कम सोने के लिए (सिर्फ 4 घंटे) कह सकता हूँ, ताकि हम स्पार्क्स का पता लगा पाएँ।
अगर एमआरआई या ईईजी असामान्य है, तो पेशंट को और ज़्यादा दौरे (ऐपिलेप्सी) पडने की संभावना हैं।
कभी-कभी एमआरआई और ईईजी सामान्य क्यों होते हैं?
अगर एमआरआई सामान्य है, तो यह अच्छी बात है! इसका मतलब है कि असामान्य चीज इतनी छोटी है कि वह एमआरआई पर भी दिखायी नहीं दी। अमरिका में 7 टेस्ला (7T) एमआरआई सबसे सूक्ष्म असामान्यताएँ भी दिखाने में सक्षम हो।
कभी-कभार होनेवाले स्पार्क्स शायद लंबी अवधी के ईईजी भी पता ना लगा पाएँ। साथ ही, ईईजी दिमाग की गहराइयों में होनेवाले स्पार्क्स का पता नहीं लगा सकते।
ईईजी मॉनिटरिंग (EEG monitoring) क्या है?
ईईजी मॉनिटरिंग यानी 1 दिन के लिए या फिर 1 से ज़्यादा दिनों के लिए किया जानेवाला ईईजी।
आम तौर पर अस्पताल में किया जाता है, ताकि साथ में वीडियो रिकॉर्डिंग और ईसीजी भी किया जा सके।
सभी पेशंट्स को ईईजी मॉनिटरिंग की ज़रूरत नहीं होती. लेकिन कुछ पेशंट्स में यह बहुत ही मददगार होता है:
- ईईजी मॉनिटरिंग से किसी अलग कारण का पता चल सकता है, जिससे आपको दौरे पड रहे हैं, जैसे कि बहुत ज़्यादा तनाव या दिल की कोई समस्या।
- इससे पक्के तौर पर पता चलता है, कि आपका दौरा किस तरह का है (उदा. छोटा या बड़ा), ताकि सही दवा दी जा सके।
- इससे पता चलता है कि दौरा कितना सक्रिय है। उदाहरण के लिए, अगर आपका (या बच्चे का) ईईजी रात के समय ज़्यादा सक्रिय है, तो दिमाग का नुकसान टालने के लिए स्टेरॉइड दवाइयाँ देने की ज़रूरत पड सकती है।
- इससे दिमाग के खराब हिस्से का पता चलता है। अगर दवाइयाँ काम नहीं कर रही हैं, तो खराब हिस्से को निकाला जा सकता है (ऐपिलेप्सी की सर्जरी)।
क्या दवाइयों से दौरे नियंत्रण में रहते हैं?
दौरे रोकने के लिए 30 से ज़्यादा दवाइयाँ है। आपके लक्षण, रहन-सहन, एमआरआई और ईईजी से हमें सही दवाइयाँ लिखने में मदद मिलती है।
कभी-कभी, सही दवाइयाँ लिखने के लिए ईईजी मॉनिटरिंग की ज़रूरत पड सकती है।
सही दवाइयाँ देने के बाद, 70-80% पेशंट्स में दौरे पडने बंद हो जाते हैं।
क्या ऐसी कोई दवा है जिससे ऐपिलेप्सी हमेशा के लिए ठीक हो जाती हैं?
ऐसी कोई दवा नहीं जो ऐपिलेप्सी को हमेशा के लिए ठीक कर दे। लेकिन, निराश मत होइए।
मैं चश्मा पहनता हूँ। उसके बगैर मैं ठीक से देख नहीं पाता! शुरुआत में मुझे चश्मा पहनना पसंद नहीं था, लेकिन अब चश्मा पहनना मेरी ज़रूरत है और मुझे इससे कोई परेशानी नहीं होती।
बहुत से पेशंट्स को हर दिन हाई कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर के लिए दवाइयाँ लेनी पडती हैं। ये दवाइयाँ लेना उनके लिए ज़रुरी है और इनसे उन्हें कोई परेशानी नहीं होती।
उसी तरह, बहुत से ऐपिलेप्सी के पेशंट्स जब दवाई लेते हैं तो उन्हें अच्छा महसूस होता है।
ये मानो चश्मे की या फिर रोज़ लेनेवाली गोलियों की तरह है, ऐसा सोचने से आपको मदद मिलेगी। याद रखिए, ऐपिलेप्सी या दवाइयाँ आपकी ज़िंदगी नहीं है। आपकी ज़िंदगी ऐपिलेप्सी से कहीं ज़्यादा अद्भुत है!
क्या दिमाग खुद को नियंत्रण में रखना सीख सकता है और दौरे पडना बंद हो सकते हैं?
कभी-कभी दिमाग खुद को ठीक कर लेता है। और दौरे पडना बंद हो जाते हैं।
ऐसा क्यों होता है, हमें नहीं पता।
ऐसा होने की संभावना ऐपिलेप्सी के प्रकार पर आधारित है।
उदाहरण के लिए, जेएमई नाम के ऐपिलेप्सी के मामले में पेशंट्स को अक्सर लंबी अवधी तक दवाइयाँ लेने की ज़रूरत होती है।
ऐपिलेप्सी के छोटे दौरों के मामलों में “खुद ठीक होने” की संभावना ज़्यादा होती है।
इसलिए, अगर पिछले 3 सालों से एक भी दौरा नहीं पडा है, तो आपके डॉक्टर आपको दवा की मात्रा कम करने या फिर दवाइयाँ पूरी तरह से बंद करने के लिए कह सकते हैं।
ऐपिलेप्सी के छोटे दौरे पडनेवाले पेशंट्स में से 50% को इसके बाद दौरे नहीं पडते हैं।
चाइल्डहुड एब्सेन्स प्रकार के ऐपिलेप्सी के दौरों के मामलों में “खुद ठीक होने” की संभावना बहुत ज़्यादा होती है।
दवाइयों से दौरे नियंत्रण में न आए तो क्या किया जा सकता है?
20% से 30% पेशंट्स को दवाइयाँ लेने के बाद भी दौरे पड सकते हैं।
यहाँ 2 बातें पक्का करना ज़रूरी है:
- दौरों के पिछे और तो कोई कारण नहीं है — जैसे, दिल की कोई बीमारी।
- ऐपिलेप्सी के प्रकार के अनुसार सही दवा सही मात्रा में दी जा रही हैं।
अगर पेशंट को दौरे पडते ही रहते हैं, तो फिर ऐपिलेप्सी की सर्जरी करने की सोच सकते हैं।
“रिसेक्टिव” ऐपिलेप्सी सर्जरी क्या है?
रिसेक्टिव ऐपिलेप्सी सर्जरी यानी दिमाग का वो हिस्सा निकालना जिसकी वजह से दौरे पड रहे हैं।
इस सर्जरी के बाद दौरे न पडने की संभावना 70% तक बढ़ सकती हैं।
वेगस नर्व स्टिम्युलेशन (वीएनएस) क्या है?
वेगस नर्व स्टिम्युलेटर (वीएनएस – VNS) एक उपकरण है जो मॉड्युलेशन करंट्स को त्वचा के नीचे की एक नस के ज़रिए दिमाग में पहुँचाता है।
सर्जरी बहुत छोटी होती है। असर अच्छा होता है। दौरा पडने की संभावना को ये 50% तक कम करता है।
दूसरे कौन से विकल्प उपलब्ध है?
दूसरे कई विकल्प उपलब्ध है:
- किटोजेनिक डाएट
- डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस – DBS)
- रिस्पॉन्सिव न्यूरोस्टिम्युलेशन (आरएनएस – RNS)
- कॉर्पस कॅलोसोटॉमी
वगैरह…
आप इन विकल्पों के बारे में अपने न्यूरोलॉजिस्ट से बात कर सकते हैं।
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Dr. Siddharth KharkarDr. Siddharth Kharkar has been recognized as one of the best neurologists in Mumbai by Outlook India magazine and India today Magazine. He is a board certified (American Board of Psychiatry & Neurology certified) Neurologist. Dr. Siddharth Kharkar is a Epilepsy specialist in Mumbai & Parkinson's specialist in Mumbai, Maharashtra, India. He has trained in the best institutions in India, US and UK including KEM hospital in Mumbai, Johns Hopkins University in Baltimore, University of California at San Francisco (UCSF), USA & Kings College in London. |