
कई लोग आपसे कहेंगे के पार्किंसंस रोग के लक्षण सिर्फ ३ है. पर ये अधूरा सच है.
पार्किंसंस रोग के मुख्य ३ लक्षण है:
पार्किंसंस रोग के लक्षण
१ . हाथ-पांव की कंपन |
२ . सभी कार्य, जैसे चलने-फिरने में धीमापन |
३ . हाथ-पांव में जकड़न या सख्तपन |
इन ३ लक्षणों के आलावा, पार्किंसंस के कई ऐसे लक्षण है जिनसे रोज़-मर्दा की ज़िन्दगी मुश्किल हो जाती है. इन सब का इलाज है.
अफ़सोस की बात ये है, के इन अन्य पार्किंसंस के लक्षणों को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है.
पर सिर्फ पार्किंसंस रोग के लक्षण जानने से आपकी जानकारी पूरी नहीं होगी. पार्किंसंस रोग का अर्थ पूरी तरह जानने के लिए, पार्किंसंस रोग क्यों होता है ये जानना भी उतना ही जरूरी है.
मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं।
मैं पार्किंसंस का उपचार प्रदान करता हूं और भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं (Epilepsy specialist in India)। मैं भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) और भारत में पार्किंसंस की सर्जरी प्रदान करता हूं।
आइये, इन चीज़ों के बारे में जानते है.
Table Of Contents
- पार्किंसंस रोग के लक्षण
- पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक एक: कंपन
- पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक तीन: धीमापन
- पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक तीन: सख्तपन
- पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक चार: संतुलन खोना
- पार्किंसंस रोग के अन्य लक्षण
- पार्किंसंस रोग का कारण
- संक्षेप में – पार्किंसंस रोगके लक्षण
- पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े
- डॉ सिद्धार्थ खारकर
- पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े
- डॉ सिद्धार्थ खारकर
पार्किंसंस रोग के लक्षण
पार्किंसंस रोग का अर्थ (Parkinson’s meaning in Hindi) समझने का पहिला कदम.
पार्किंसंस रोग के लक्षण कई होते है. पर आम -तोर पर अगर आप डॉक्टरों से भी पूछो, तो वह भी “हाथ-पांव की कंपन” ये मुख्य बताएँगे.
पर इस कंपन के आलावा, दो और लक्षण बहोत महत्वपूर्ण है.
पार्किंसंस रोग के लक्षण
१ . हाथ-पांव की कंपन |
२ . सभी कार्य, जैसे चलने-फिरने में धीमापन |
३ . हाथ-पांव में जकड़न या सख्तपन |
आइये इन तीन पार्किंसंस रोग के लक्षण के बारे में बात करते है. इसके आलावा जो बाकी तकलीफे है, उनके बारे में बाद में बात करेंगे.
पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक एक: कंपन
पार्किंसंस रोग में हाथ-पांव के हिलने पर नियंत्रण काम हो जाता है.
हाथ या पैर या दोनों का कांपना पार्किंसंस रोग का सबसे अधिक पहचाना जाने वाला लक्षण है.
जब मरीज़ एक जगह पे भी बैठा तो, तो फिर भी उसके हाथ या पांव घडी के लंगर के तरह हिलते है. इस हिलने को अंग्रेजी में ट्रेमर कहते है.
क्योंकि पार्किंसंस रोग में ये हाथ आराम से बैठे होने पे भी हिलते है, इसलिए इस कंपन को अंग्रेजी में “आराम के कंपन” या “रेस्ट ट्रेमर” कहते है.
“आराम की कम्पन” ये पार्किंसंस रोग के लक्षण में से सबसे जाना-माना है.
इस “आराम की कम्पन” का उधारण देखने के लिए निचे वाला वीडियो चलाए:
लेकिन पार्किंसंस रोग के मरीज़ो के हाथ या पांव कुछ करते हुए भी हिल सकते है.
जैसे अगर वो कोई कार्य (action) करने जाए, तो उनके हाथ आगे-पीछे हिल सकते है. इस कम्पन की वजह से, पानी पीना या लिखना मुश्किल हो सकता है.
जब पार्किंसंस की बीमारी शुरू होती है, तब ये कम्पन किसी एक ही पांव या हाथ से शुरू होती है. पर बाद में धीरे-धीरे बढ़ कर बाकी हाथ या पांव में ये फेल सकती है.
थोड़े सालों बाद, अगर इलाज न किया गया, तो पुरे शरीर में कम्पन का असर दिखाई देता है.
पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक तीन: धीमापन
पार्किंसंस रोग के लक्षण कई है, मगर धीमापन ये लक्षण शायद कम्पन से भी ज़्यादा तकलीफ दायक है.
धीमापन सभी कार्यो में आ जाता है.
मरीज़ धीमे चलने लगता है. पार्किंसंस रोग के मरीजों के एक समूह में चलने पर वह “पीछे छूटे” मिल सकते हैं क्योंकि वे धीरे-धीरे चलते हैं.
कभी कभी लोग उनका मज़ाक भी उड़ाते है:
अरे चाचा! जल्दी चलो ना! कितना धीरे-धीरे चल रहे हो!
ये मज़ाक जायज़ नहीं है. पार्किंसंस रोग के मरीज़ धीमा चलते है, क्योंकि इलाज के बिना, उनकी बीमारी उन्हें तेज़ चलने नहीं देती.
पार्किंसंस के मरीज़ किस तरह धीरे चलते है, ये देखने के लिए निचे वाला वीडियो चलाए:
अगर आप ध्यान से देखेंगे, तो ये धीमापन आपको सभी कार्यो में नज़र आएगा – अगर आपको पार्किंसंस रोग है, तो आप का खाना, लिखना, पानी पीना, बात करना, नहाना, कपडे पेहेनना, सभी कुछ धीमा हो जाता है.
इस धीमेपन को अंग्रेजी में “Bradykinesia” (ब्रेडीकायनेसिया) कहते है.
जैसे जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे वैसे ये धीमापन बढ़ने लगता है. अगर पार्किंसंस रोग का उपचार ना किया जाये, तो थोड़े सालों बाद इस धीमेपन के वजह से रोज़ मर्दा की ज़िन्दगी के काम – जैसे नहाना या खुद से कपडे पेहेनना भी मुश्किल हो सकते है.
पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक तीन: सख्तपन
पार्किंसंस रोग के लक्षण के बारे में बात करे, तो हाथ या पांव में जकड़न के बारे में बात करना जरूरी है.
अगर हाथ में जकड़न हो जाये तो लिखना मुश्किल हो सकता है. पर अक्सर जकड़न कंधे के यहाँ ज़्यादा होती है.
इसलिए, बल बनाने या कुर्ता पहनने जैसी चीज़े, जिनके लिखे पूरी बाज़ू को सर के ऊपर उठाना पड़ता है, मुश्किल हो जाती है.
अगर पांव में जकड़न होती है, तो आपको ऐसे लगेगा के आपका पांव जमीन से उठाने में तकलीफ हो रही है. हो सकता है के आपके साथी ये बोले के आप चलते समय ज़मीन पे पांव घसीटते है.
बाहों की कठोरता से आपके बालों को कंघी करने या कुछ कपड़े पहनने में मुश्किल हो सकती है.
यह तीन लक्षण भी Parkinson’s meaning in Hindi या पार्किंसंस रोग का अर्थ जानने में अत्यंत महत्वपूर्ण है.
पर आगे की पूरी कहानी जानना बहोत जरुरी है.
पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक चार: संतुलन खोना
अक्सर डॉक्टर भी पार्किंसंस रोग के लक्षण की तरफ ध्यान देते है. पर पार्किंसंस रोग के लक्षणों में संतुलन खोने का लक्षण बहोत महत्वपूर्ण है.
पार्किंसंस के मरीज़ चलते हुए थोड़ी भी ठोकर लगे तो गिर सकते है.
कभी कभी तो ठोकर इतनी मामूली होती है, जैसे ज़मीन की थोड़ी ऊंच-नीच, के पता ही नहीं लगता के ये गिर कैसे गए.
पार्किंसंस रोगके मरीज़ गिर सकते है, और इससे इससे गेहेरी चोट हो सकती है.
पार्किंसंस रोग के मरीज़ आसानी से गिर सकते है.इस तरह गिरने से बड़ी चोट या घाव हो सकते है. इसलिए, गिरने से बचना बहोत जरूरी होता है.
अगर गिरने की तकलीफ शुरू हो जाए, तो तुरंत चलते समय छड़ी का उपयोग शुरू करना चाहिए. गिरना रोकने के बाकी अनुदेशों के लिए यहाँ दबाए.
पार्किंसंस रोग के अन्य लक्षण
इन ४ मुख्या लक्षणों के आलावा, पार्किंसंस रोग के लक्षण और भी कई होते है. निचे दिए हुए आदमी को देखिये.
पार्किंसंस रोग के थोड़े मरीज़ो में इन अन्य लक्षणों में से कोई भी तकलीफ नहीं होती. और थोड़े मरीज़ो को ये और इसके जैसे अनेक अन्य तकलीफे होती है.
पार्किंसंस रोग में चलने-फिरने में कई समस्याएं होती हैं.
पार्किंसंस रोग के अन्य लक्षण
१ . चेहरे के हाव-भाव खो जाना. चेहरे पर हसी-दुःख का भाव खो जाना |
२. पालक झपकना बहोत कम या बंद हो जाना |
३. आवाज़ बहोत धीमी हो जाना |
४. चलते समय आगे जुक्के चलना |
५. चलते समय बिना हाट हिलाये, रोबोट की तरह चलना |
६. ज़मीन पर पांव घसीट घसीट कर चलना. |
७. सख्त कब्ज हो जाना |
८. सूंघने की शक्ति काम हो जाना |
इत्यादि… |
पार्किंसंस रोग में सोचने की भी तकलीफ हो सकती है. इसे डेमेंटिया कहते है. इसके बारे में “डेमेंटिया इन हिंदी” नामक वेबसाइट ने अच्छी जानकारी दी है.
पार्किंसंस रोग का कारण
पार्किंसंस रोग का अर्थ जानने के लिए ये क्यों होता है ये जानना भी जरूरी है.
हमारे दिमाग के पिछले वाले हिस्से में, “मिड-ब्रेन” नाम की जगह होती है, जिसमे “डोपामिन” नाम के रसायन बनता है.
ये डोपामिन रसायन बहुमूल्य है. डोपामाइन दिमाग के आगे वाले हिस्सों को उत्तेजित करता है, और हमें चलने-फिरने में मदत करता है.
जो लाल रंग में है, दिमाग के उस भाग को मिड-ब्रेन कहते है. मिडब्रेन डोपामिन बनाकर दिमाग के आगे वाले हिस्सों में भेजता है.
पार्किंसंस रोग का मरीज़ो में डोपामाइन काम हो जाता है. ऐसा क्यों होता है, ये कोई नहीं जानता.
डोपामिन की कमी से पार्किंसंस रोग के लक्षण होते है. खास तोर पर, चलने-हिलने पर दिमाग का नियंत्रण खो जाता है.
पार्किंसंस में मिडब्रेन के पेशियाँ मर जाती है, और डोपामिन की मात्रा काम हो जाती है.
संक्षेप में – पार्किंसंस रोगके लक्षण
१. पार्किंसंस रोग के लक्षण, और पार्किंसंस रोग का कारण दोनोही जानना जरूरी है.
२. तीन पार्किंसंस रोग के लक्षण सबसे महत्वपूर्ण है: हाथ-पांव की कम्पन, सारे कार्यो में धीमापन, और शरीर का सख्तपना.
३. पार्किंसंस रोग की कम्पन बैठे-बैठे भी होती रहती है, इसलिए इसको “आराम-कम्पन” या अंग्रेजी में “रेस्ट-ट्रेमर” (rest-tremor) कहते है.
३. लेकिन गिरना, आगे जुखके चलना, हाव-भाव खो जाना ये भी पार्किंसंस रोग के लक्षण है.
४. पार्किंसंस रोग का कारण है दिमाग में “डोपामिन” नाम के रायसेन की कमी.
५. पार्किंसंस रोग के लक्षण पार्किंसंस का इलाज करने पर काबू में आ जाते है.
पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!! |