शायद आपने पार्किंसंस रोग नए उपचार के संधर्ब में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) के बारे में सुना होगा.
क्या ये पार्किंसंस का चमत्कार इलाज है? क्या ये बिलकुल व्यर्थ है?
इन दोनों सवालों का जवाब “नहीं” है.
ना तो डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) पार्किंसंस का चमत्कार इलाज है, और ना ही ये बिलकुल व्यर्थ है.
DBS थोड़े भाग्यशाली लोगों के लिए एक जबरदस्त नया उपचार है. पर इससे, या कोई भी बीमारी के किसी भी इलाज से चमत्कार इलाज की आशा रखना जायज़ नहीं.
क्या होता है डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन? कौनसे लोगों को DBS का फायदा होता है? कितने लोगों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) सफल होता है?
आइये पढ़ते है…
Table of Contents
पार्किंसंस रोग नए उपचार में डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) क्या होता है?
डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) छोटी मशीन का इस्तेमाल करके दिमाग को बिजली से उत्तेजित करना है. DBS कई दिमागी भागों को उत्तेजित कर सकता है.
DBS कई बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है. यह केवल “पार्किंसंस सर्जरी” के लिए नहीं है. इसका इस्तेमाल मिर्गी और चलने से संबंधी अन्य परेशानियों के लिए भी किया जा सकता है.
पर यहाँ हम सिर्फ पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में बात करेंगे.
DBS बैटरी को छाती की त्वचा के नीचे डाला जाता है. बैटरी से दो छोटे तार सिर तक जाते हैं. तार खोपड़ी के माध्यम से जाते हैं. उन्हें दिमाग के जरुरी जगह में डाला जाता है.

पार्किंसंस रोग के लिए: दिमाग का यह जरुरी भाग आमतौर पर “सबथैलेमिक न्यूक्लियस (एसटीएन)” है.
कुछ रोगियों में, दिमाग की एक अन्य जगह को लक्ष्य के रूप में चुना जाता है. यह अन्य जगह ग्लोबस पल्लीडस इंटर्ना (जीपाई) है.
जगह को कैसे चुना जाता है? इस लेख को पढ़ें [यहाँ क्लिक करें]
DBS एक दम से पार्किंसंस के लक्षणों में सुधार कर सकता है. इंटरनेट पर पहले-बाद के कई वीडियो उपलब्ध हैं.
उदाहरण के लिए, अमेरिका में न्यूरोमेडिकल सेंटर का यूट्यूब पर पोस्ट किया गया एक वीडियो है.
ये वीडियो देखने के बाद आपको बिलकुल ही अचरज नहीं होगा के डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन को पार्किंसंस रोग नए उपचार में मुख्य इलाज माना जाता है.
कौनसे लोगों को डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) का फायदा होता है?
डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन करवाने का एक ही कारण है.
यदि – दवाएँ लेने के बावजूद – पार्किंसंस रोग के कारण आपके जीवन में परेशानियां हैं तो आपको डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन करवाना चाहिए.
डॉक्टर इसे “विकलांगता” या “डिसेबिलिटी” कहते हैं.
ऐसे वक़्त पे, पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में सोचना चाहिए.
आप जानते हैं, पार्किंसंस रोग के काफी आगे स्टेज के मरीज भी लिवोडोपा की एक बड़ी खुराक के बाद ठीक हो जाते हैं!
तो मरीज को काम करने चलने फिरने में परेशानी क्यूँ आ रही है? मोटर के उतार-चढ़ाव के कारण ये परेशानी हैं.
आइए हम 2 सबसे आम उतार-चढ़ाव देखें:
१. अपेक्षित असर कम होना:
लिवोडोपा को लेने के बाद आपको लगभग ठीक लगने लगता है. लेकिन असर बहुत जल्द ही खत्म हो जाता है.

यह 2 घंटे के बाद या कभी-कभी 1 घंटे के बाद भी खत्म हो सकता है. आप सचमुच यह बता सकते हैं कि क्या होने जा रहा है.
फिर आप दूसरी खुराक लेते हैं, और आप ठीक हो जाते हैं. लेकिन फिर 1-2 घंटे के अंदर, यही बात होती है!
यहां ओरियन फार्मा द्वारा पोस्ट किया गया एक वीडियो है. सुश्री डोरेन नामक एक मरीज ने उसके ऊपर होने वाले असर के गायब होने के बारे में बताया है:
यह “असर खत्म” होने की परेशानी ही डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन सर्जरी कराने का सबसे आम कारण है.
२. खुराक–सीमित करना- डिस्केनेसिया:
शुरू में, आपने लिवोडोपा की छोटी खुराक ली.
जैसे-जैसे साल बीतते गए, आपको बड़ी खुराक की जरूरत पड़ने लगी . ठीक है. आप फिर भी ठीक महसूस कर रहे थे.
लेकिन कुछ लोग नोटिस करते हैं कि जब वे बड़ी खुराक लेते हैं, तो उनका शरीर कांपने लगता है.

इन अधिक कम्पन को धीमी ब्रेक-डांसिंग की तरह देखा जाता है. इसे “डिस्केनेसिया” कहा जाता है. यह काफी खतरनाक हो सकता है.
यहाँ लिवोडोपा के कारण डिस्किनेसिया का एक वीडियो है. इस वीडियो को सुश्री टेसी नाम की एक बहादुर मरीज ने यूट्यूब पर पोस्ट किया है.
तो, कुछ लोग एक अजीब स्थिति में हैं. जरुरी मात्रा में लिवोडोपा न लें, तो शरीर के अंग कठोर हो जाते हैं. लिवोडोपा जरुरी मात्रा में लें, तो डिस्केनेसिया हो जाता है.
खतरनाक “डिस्केनेसिया” के कारण मरीज़ उतना अधिक लिवोडोपा नहीं ले सकते, जितना उन्हें चाहिए.
इसका उपाय डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन है. डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन इन समस्याओं को कण्ट्रोल करने में मदद करता है. [एसटीएन बनाम जीपाई डीबीएस].
पार्किंसंस रोग नए उपचार डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) कितने लोगों में सफल होता है?
८५-९०%
डीबीएस से बहुत से पार्किंसंस रोगी ठीक हो जाते हैं.

DBS सभी लक्षणों को बराबर कम नहीं करता है. यह कुछ लक्षणों को खासकर कम करता है.
अधिकतर समय में:
- DBS से कपकपी, जकड़न और सुस्ती काम हो जाते है.
- रोगी तेजी से चलते हैं. हालांकि, DBS असंतुलन को कम नहीं करता है.
- DBS पार्किंसंस रोग के कई गैर–मोटर लक्षणों को कम करता है.
मोटर उतार-चढ़ाव:
आगे बढ़ने से पहले, आइए हम “ऑफ” और “ऑन” शब्दों को देखें.
- ऑफ का मतलब है कि पार्किंसंस रोगी बिना लक्षणों के कैसे होता है – इसके बहुत खतरनाक लक्षण हैं.
- ऑन का मतलब है कि जब मरीज का उपचार अच्छी तरह से काम करता है तब मरीज कैसा है – इसके कुछ लक्षण हैं.
पार्किंसन की बीमारी में बाद के स्टेज में, दवा काम नहीं करती . यह “मोटर उतार-चढ़ाव” का कारण बनता है.

आइए हम 2 सबसे आम मोटर उतार-चढ़ाव देखें:
- कुछ रोगी कहते हैं कि उनकी दवाएं कुछ घंटों के बाद काम करना बंद कर देती हैं. वे “ऑफ” हो जाते हैं. इसे “प्रिडिक्टेबल वियर-ऑफ” कहा जाता है.
- कुछ रोगियों को शिकायत होती है कि दवाएँ लेने के बाद उनका शरीर बहुत कांपता है. इसे “डिस्केनेसिया” कहा जाता है.
क्या डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) पार्किंसंस का चमत्कार इलाज है?
नहीं.
डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) से कई लोगो में जबरदस्त फायदा होता है.
लेकिन किसी भी मनुष्य की बनायीं हुई चीज़ से चमत्कार की अपकेशा करना जायज़ नहीं है.
DBS इन उतार-चढ़ाव को कम करता है. पार्किंसंस रोग नए उपचार के बाद मरीजों को औसतन 4-5 अधिक ऑन घंटे मिलते हैं. यह DBS की मुख्य सफलता है. इसके अलावा:
- जब मरीज़ ऑफ़ होते हैं, तब भी उनके लक्षण कम खतरनाक होते हैं.
- डिस्केनेसिया में सुधार होता है. औसतन, डिस्किनेसिया 80% या उससे भी ज्यादा तक कम हो जाते हैं.
गैर–मोटर समस्याएं:
शुक्र है, डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन इनमें से कई गैर-मोटर समस्याओं को कम करता है. उदाहरण के लिए, डीबीएस के बाद नींद में सुधार होता है. मैंने, किंग्स कॉलेज में अपने साथियों के साथ, 2018 में डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन के बाद नींद में सुधार पर एक रिसर्च पत्र पब्लिश किया.
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) के क्या दुषपरिणाम हो सकते है?
हालांकि यह दिमाग की सर्जरी है, अन्य सर्जरी के मुकाबले, यह मामूली है. इसलिए इसमें ज्यादा जोखिम नहीं हैं. लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत है.
पार्किंसंस रोग नए उपचार में होने के बाबजूद, डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन इतना असरदार है के ये सर्जरी दुनिया भर कई लाखो लोगों मैं की गयी है.
पूरी डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन गाइड देखने के लिए क्लिक करें

आइए इस विषय पर सबसे बड़े रिसर्च में से एक देखें.
जर्मन रिसर्चर/वैज्ञानिकों (शोधकर्ताओं) के एक समूह ने 1,183 रोगियों का अध्ययन किया, जिन्होंने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन) सर्जरी करवाई थी. इसमें पार्किंसंस रोग के साथ-साथ अन्य बीमारियों के रोगी शामिल थे. उनके रिजल्ट ये थे.
- मौत का ख़तरा 1% से कम था.
- लगभग 2% रोगियों के सिर के अंदर खून बह रहा था जिससे शरीर के एक तरफ कमजोरी थी. कई रोगियों में, यह कमजोरी 30 दिनों के अंदर अपने आप ठीक हो जाती है.
- कुछ रोगियों (0.6%) में संक्रमण जैसी असामान्य समस्याएं थीं.
- कुछ रोगियों (0.6%) को निमोनिया जैसी कुछ समस्याएं थीं.
कम शब्दों में:
- 95% से अधिक रोगियों को कोई कठिनाई नहीं थी.
- मौत या स्थायी परेशानी का खतरा बहुत ही कम (लगभग 1%) था.
[पूरी स्टडी के लिए यहाँ क्लिक करें]
DBS से पार्किंसंस रोग की 3 परेशानियां और बिगड़ सकती हैं:
- अगर आपको पहले से ही कण्ट्रोल न होने वाला डिप्रेशन है तो यह डिप्रेशन को और बिगाड़ सकता है.
- इससे सोचने और याददास्त की समस्याएं और भी बढ़ सकती हैं, खासकर यदि आपको पहले से ही इस तरह की कोई समस्या है.
- यह गिरने की समस्या को और बढ़ा सकता है, अगर आप ज्यादातर बेलेंस नहीं बना पाने के कारण गिरते हैं.
डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन से कितने मरीज खुश हैं?
पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में शायद अब भी आपको थोड़ी हिचकिचाहट हो.
यहाँ सबसे जरुरी प्रश्न करते हैं. क्या डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन कराने वाले लोग उनके फैसले से खुश थे? क्या वे इसे दूसरों को इसे अपनाने के लिए कहेंगे ?
यह डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन की सफलता को नापने का एक शानदार तरीका है.
रिजल्ट बहुत ही अच्छे हैं.

उदाहरण के लिए, 2019 में, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय ने 320 मरीजों से ये सवाल पूछे, जिन्होंने डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन कराया था.
- ९२ % मरीज डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन से खुश थे.
- ९५ % पार्किंसंस वाले दूसरे रोगी को डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन आजमाने के लिए कहेंगे.
- ७५ % ने बताया कि यह अभी भी उनकी परेशानियों को कण्ट्रोल करता है.
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!! |
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!! |