intcare18

सीज़र दौरे का अर्थ (प्रकार और 2 इलाज!) Seizure Meaning in Hindi

सीज़र दौरे का अर्थ (Seizure meaning in Hindi) है दिमाग में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होने से अजीब लक्षण होना. हम सब को ये पता है के सीज़र के दौरे में  शरीर जोर-जोर से हिल सकता है. पर क्या आप जानते है के इस अनियंत्रित एलेक्ट्रिक्ट्य से कोई भी लक्षण हो सकते है? इनमे से कई सीज़र के लक्षणों को नाम दिया गया है. सीज़र के ऐसे १०० से अधिक लक्षण है जिनका नाम है. अक्सर सीज़र के इन अन्य लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया जाता है. ऐसे होता है, क्यों के अधिकाशं लोगों को सीज़र दौरे का अर्थ पता नहीं होता. सीज़र दिमाग के किस भाग में है, इसके आदर पर इन लक्षणों को २ प्रकारों में बाटा गया है: सीज़र के २ मुख्य प्रकार १ . फोकल सीज़र – छोटा सीज़र जो दिमाग के एक छोटे से भाग से शुरू होता है, और अक्सर वहीँ पर सिमित रहता है. २ . जनरलाइज़्ड सीज़र – बड़ा सीज़र दो पुरे दिमाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी की अगणित चिंगारियां जलाता है. सीज़र के दौरे का अर्थ पूरी समझने हमें इन चीज़ों को जानना होगा: सीज़र के दौरे क्यों होता है? सीज़र के दौरे के लक्षण क्या होते है? सीज़र के दौरे का निदान कैसे होता है? सीज़र के दौरे का उपचार क्या है? अगर सीज़र के दौरे बार-बार होते है, आपके दिमाग को सीज़र होने की आदत होती है – तो इस बीमारी को एपिलेप्सी कहते है. सीज़र के दौरे के बारे मैं पढ़ने के बाद, यहाँ  वापस आकर ये दबाए: ( Meaning of Epilepsy in Hindi – मिर्गी की बीमारी का अर्थ ) हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है. इसीलिए,अधिकांश लोगो को दौरे का अर्थ हिंदी में (Seizure meaning in Hindi) समझाने का ये प्रयास है.आइये, सीज़र का अर्थ (Seizure meaning in Hindi) समझते है! मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं (Epilepsy specialist in India) भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं, भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) करता हूं। आइए, पढ़ते हैं इन अहम बातों के बारे में। हमारे दिमाग का नियंत्रित काम हमारा दिमाग इलेक्ट्रिसिटी और रसायनो पे चलता है. हमारे दिमाग के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग कार्य करते है. जब हमारे दिमाग का एक भाग किसी और भाग को संकेत देना चाहता है, तो वो इलेक्ट्रिसिटी का एक छोटा सा करंट वहां भेजता है. ऐसे करोडो छोटे-छोटे करंट हमारे दिमाग में लगातार बहते है. ये सारे ही करंट नियंत्रित होते है. जब आप चाहते हो, तब ही आप का दिमाग हाथ हिलने का संकेत भेजता है. जब आप चाहते हो, तब ही आपका दिमाग मुँह से आवाज़ निकालता है. फोकल सीज़र का दौरा क्यों होता है (Focal Seizure meaning in Hindi)? अब सोचिये अगर दिमाग के कोई दो छोटी वायर एक दूरसे के ऊपर चिपक जाये. इसे अंग्रेजी में क्रॉस-कनेक्शन कहते है. तो फिर क्या होगा? हाँ. वहां की इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित हो जायेगी. इलेक्ट्रिसिटी बिना वजह फड़-फडाने लगेगी. जब दिमाग के एक ही भाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी होती है, तो उसे फोकल सीज़र या फिर “छोटी सीज़र का दौरा” कहते है. जब ये अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी दिमाग के एक भाग तक सिमित होती है, तब बारीक़ लक्षण होते है. जैसे: अगर दिमाग के उस भाग में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होती है, जो हाथ हिलता है, तो हमारा हाथ अपने-आप फड़फड़ाने लगता है. अगर दिमाग के सुगंध के भाग में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होती है, तो हमें बिना-वजह बहोत अच्छी, या फिर बहोत गंदी बास आने लगती है. जैसे, डॉक्टर जनक पटेल ने पोस्ट किया हुआ ये वीडियो देखे। इस मरीज़ को फोकल सीज़र हो रहा है, जिसके कारन उनका सिर्फ बायां पैर हिल रहा है. https://www.youtube.com/watch?v=5xxCPeR8u-8&t=2s इसे अंग्रेजी में “Focal Seizure” कहते है. आप इसे हिंदी में “छोटा दौरा” कह सकते है. बड़ा सीज़र का दौरा क्यों होता है (Generalized Seizure meaning in Hindi)? एक बादल की तरह, कभी कभी ये अनियंत्रित इलेक्ट्रिक १०-१५ सेकंड में पुरे दिमाग में फ़ैल जाती है. ऐसा हर बार नहीं होता. मगर जब ये होता है, तब पूरा शरीर जोर-जोर से हिलता है. जब अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी पुरे दिमाग में फैलती है, तो उसे जनरलाइसीड सीज़र या फिर “बड़ा सीज़र का दौरा” कहते है. आदमी का होश खो जाता है, और कभी-कभी वह जबान काट लेता है. आँखे खुली होती है. अक्सर बड़े दौरे में मरीज़ अपने पिसाब या संडास पे संतुलन खो देता है. जैसे, इस व्यक्ति को देखिये. पुरे दिमाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी फैलने के कारण इनका पूरा शरीर जोर-जोर से हिल रहा है. https://www.youtube.com/watch?v=4iq2dvyr5Is&t=80s सीज़र का बड़ा दौरा आम तोर पे सिर्फ १-२ मिनिट लम्बा होता है. ऐसे बड़े दौरे के बात, आदमी थक जाता है. उसे पूरी तरह ठीक होने में २० मिनिट से भी ज़्यादा लग सकते है. इसे अंग्रेजी में “Generalized Seizure” कहते है. आप इसे हिंदी में “बड़ा दौरा” कह सकते है. सीज़र में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित क्यों हो जाती है? थोड़ी गहराई में जाते है. Seizure meaning in Hindi आपको जल्द से समझने के लिए मेंने कहा था की क्रॉस-कनेक्शन से इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होती है. ये क्रॉस-कनेक्शन के असली कारन समझना थोड़ा पेचीदा है. इसलिए में इनके बारे में सिर्फ संक्षेप में बात करूँगा. अगर आपको सीज़र के कारणों में और भी संशोधन करना है, तो यहाँ दबाए [डॉ बालेस्ट्रिनी ने लिखा हुआ लेख, अंग्रेजी में]. कारण १. पेशियों की सुरंगों में बिघाड: दिमाग की पेशियों में परमणु अंदर-बहार जाने के लिए बारीक़ सुरंग होती है. अगर इनमे से एक सुरंग बिघड जाए, तो सीज़र की बीमारी हो सकती है. कारण २. बच्चे का कोक में अनियमित विकास: हमारा दिमाग कोक में पूरी तरह बन जाता है. अगर इस वक़्त दिमाग के उत्थान में कोई समस्या हो जाये, तो सीज़र की बीमारी हो सकती है. गर्भावस्था और मिर्गी हिंदी में कारण ३. खून में ख़राब रसायन: कभी-कभी लिवर या किडनी की बीमारी के कारण खून में ख़राब रसायन जामा हो जाते है. इनसे सीज़र की बीमारी हो सकती है. कारण ४: जनम के बाद दिमाग को चोट: यदि दुर्घटना के कारण, ब्रेन-ट्यूमर के कारण, लकवे के कारण दिमाग को भरी चोट होती है, तो इससे सीज़र हो सकते है. सीज़र के अन्य लक्षण सीज़र के कई लक्षण हो सकते है. मगर दिमाग के थोड़े भागों  में सीज़र अक्सर

सीज़र दौरे का अर्थ (प्रकार और 2 इलाज!) Seizure Meaning in Hindi Read More »

सीज़र दौरे का अर्थ (प्रकार और 2 इलाज!) Seizure Meaning in Hindi

सीज़र दौरे का अर्थ (Seizure meaning in Hindi) है दिमाग में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होने से अजीब लक्षण होना. हम सब को ये पता है के सीज़र के दौरे में  शरीर जोर-जोर से हिल सकता है. पर क्या आप जानते है के इस अनियंत्रित एलेक्ट्रिक्ट्य से कोई भी लक्षण हो सकते है? इनमे से कई सीज़र के लक्षणों को नाम दिया गया है. सीज़र के ऐसे १०० से अधिक लक्षण है जिनका नाम है. अक्सर सीज़र के इन अन्य लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया जाता है. ऐसे होता है, क्यों के अधिकाशं लोगों को सीज़र दौरे का अर्थ पता नहीं होता. सीज़र दिमाग के किस भाग में है, इसके आदर पर इन लक्षणों को २ प्रकारों में बाटा गया है: सीज़र के २ मुख्य प्रकार १ . फोकल सीज़र – छोटा सीज़र जो दिमाग के एक छोटे से भाग से शुरू होता है, और अक्सर वहीँ पर सिमित रहता है. २ . जनरलाइज़्ड सीज़र – बड़ा सीज़र दो पुरे दिमाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी की अगणित चिंगारियां जलाता है. सीज़र के दौरे का अर्थ पूरी समझने हमें इन चीज़ों को जानना होगा: सीज़र के दौरे क्यों होता है? सीज़र के दौरे के लक्षण क्या होते है? सीज़र के दौरे का निदान कैसे होता है? सीज़र के दौरे का उपचार क्या है? अगर सीज़र के दौरे बार-बार होते है, आपके दिमाग को सीज़र होने की आदत होती है – तो इस बीमारी को एपिलेप्सी कहते है. सीज़र के दौरे के बारे मैं पढ़ने के बाद, यहाँ  वापस आकर ये दबाए: ( Meaning of Epilepsy in Hindi – मिर्गी की बीमारी का अर्थ ) हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है. इसीलिए,अधिकांश लोगो को दौरे का अर्थ हिंदी में (Seizure meaning in Hindi) समझाने का ये प्रयास है.आइये, सीज़र का अर्थ (Seizure meaning in Hindi) समझते है! मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं (Epilepsy specialist in India) भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं, भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) करता हूं। आइए, पढ़ते हैं इन अहम बातों के बारे में। हमारे दिमाग का नियंत्रित काम हमारा दिमाग इलेक्ट्रिसिटी और रसायनो पे चलता है. हमारे दिमाग के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग कार्य करते है. जब हमारे दिमाग का एक भाग किसी और भाग को संकेत देना चाहता है, तो वो इलेक्ट्रिसिटी का एक छोटा सा करंट वहां भेजता है. ऐसे करोडो छोटे-छोटे करंट हमारे दिमाग में लगातार बहते है. ये सारे ही करंट नियंत्रित होते है. जब आप चाहते हो, तब ही आप का दिमाग हाथ हिलने का संकेत भेजता है. जब आप चाहते हो, तब ही आपका दिमाग मुँह से आवाज़ निकालता है. फोकल सीज़र का दौरा क्यों होता है (Focal Seizure meaning in Hindi)? अब सोचिये अगर दिमाग के कोई दो छोटी वायर एक दूरसे के ऊपर चिपक जाये. इसे अंग्रेजी में क्रॉस-कनेक्शन कहते है. तो फिर क्या होगा? हाँ. वहां की इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित हो जायेगी. इलेक्ट्रिसिटी बिना वजह फड़-फडाने लगेगी. जब दिमाग के एक ही भाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी होती है, तो उसे फोकल सीज़र या फिर “छोटी सीज़र का दौरा” कहते है. जब ये अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी दिमाग के एक भाग तक सिमित होती है, तब बारीक़ लक्षण होते है. जैसे: अगर दिमाग के उस भाग में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होती है, जो हाथ हिलता है, तो हमारा हाथ अपने-आप फड़फड़ाने लगता है. अगर दिमाग के सुगंध के भाग में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होती है, तो हमें बिना-वजह बहोत अच्छी, या फिर बहोत गंदी बास आने लगती है. जैसे, डॉक्टर जनक पटेल ने पोस्ट किया हुआ ये वीडियो देखे। इस मरीज़ को फोकल सीज़र हो रहा है, जिसके कारन उनका सिर्फ बायां पैर हिल रहा है. https://www.youtube.com/watch?v=5xxCPeR8u-8&t=2s इसे अंग्रेजी में “Focal Seizure” कहते है. आप इसे हिंदी में “छोटा दौरा” कह सकते है. बड़ा सीज़र का दौरा क्यों होता है (Generalized Seizure meaning in Hindi)? एक बादल की तरह, कभी कभी ये अनियंत्रित इलेक्ट्रिक १०-१५ सेकंड में पुरे दिमाग में फ़ैल जाती है. ऐसा हर बार नहीं होता. मगर जब ये होता है, तब पूरा शरीर जोर-जोर से हिलता है. जब अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी पुरे दिमाग में फैलती है, तो उसे जनरलाइसीड सीज़र या फिर “बड़ा सीज़र का दौरा” कहते है. आदमी का होश खो जाता है, और कभी-कभी वह जबान काट लेता है. आँखे खुली होती है. अक्सर बड़े दौरे में मरीज़ अपने पिसाब या संडास पे संतुलन खो देता है. जैसे, इस व्यक्ति को देखिये. पुरे दिमाग में अनियंत्रित इलेक्ट्रिसिटी फैलने के कारण इनका पूरा शरीर जोर-जोर से हिल रहा है. https://www.youtube.com/watch?v=4iq2dvyr5Is&t=80s सीज़र का बड़ा दौरा आम तोर पे सिर्फ १-२ मिनिट लम्बा होता है. ऐसे बड़े दौरे के बात, आदमी थक जाता है. उसे पूरी तरह ठीक होने में २० मिनिट से भी ज़्यादा लग सकते है. इसे अंग्रेजी में “Generalized Seizure” कहते है. आप इसे हिंदी में “बड़ा दौरा” कह सकते है. सीज़र में इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित क्यों हो जाती है? थोड़ी गहराई में जाते है. Seizure meaning in Hindi आपको जल्द से समझने के लिए मेंने कहा था की क्रॉस-कनेक्शन से इलेक्ट्रिसिटी अनियंत्रित होती है. ये क्रॉस-कनेक्शन के असली कारन समझना थोड़ा पेचीदा है. इसलिए में इनके बारे में सिर्फ संक्षेप में बात करूँगा. अगर आपको सीज़र के कारणों में और भी संशोधन करना है, तो यहाँ दबाए [डॉ बालेस्ट्रिनी ने लिखा हुआ लेख, अंग्रेजी में]. कारण १. पेशियों की सुरंगों में बिघाड: दिमाग की पेशियों में परमणु अंदर-बहार जाने के लिए बारीक़ सुरंग होती है. अगर इनमे से एक सुरंग बिघड जाए, तो सीज़र की बीमारी हो सकती है. कारण २. बच्चे का कोक में अनियमित विकास: हमारा दिमाग कोक में पूरी तरह बन जाता है. अगर इस वक़्त दिमाग के उत्थान में कोई समस्या हो जाये, तो सीज़र की बीमारी हो सकती है. गर्भावस्था और मिर्गी हिंदी में कारण ३. खून में ख़राब रसायन: कभी-कभी लिवर या किडनी की बीमारी के कारण खून में ख़राब रसायन जामा हो जाते है. इनसे सीज़र की बीमारी हो सकती है. कारण ४: जनम के बाद दिमाग को चोट: यदि दुर्घटना के कारण, ब्रेन-ट्यूमर के कारण, लकवे के कारण दिमाग को भरी चोट होती है, तो इससे सीज़र हो सकते है. सीज़र के अन्य लक्षण सीज़र के कई लक्षण हो सकते है. मगर दिमाग के थोड़े भागों  में सीज़र अक्सर

सीज़र दौरे का अर्थ (प्रकार और 2 इलाज!) Seizure Meaning in Hindi Read More »

Sub-section: Epilepsy & Pregnancy

Safe Pregnancy in Epilepsy Patient Guide Welcome. This is a patient guide about pregnancy for women with Epilepsy. It is a subsection of the complete Epilepsy guide for patients. You can start either with the [Checklist for a successful pregnancy] or you can go through the articles one-by-one. If this guide is helpful, please drop me a message. I will be happy to know it has helped you. Feel free to share the link on your website. You can also post it on Facebook/twitter. – Dr. Siddharth Kharkar. Contents Fertility: Can a man or woman with epilepsy have a baby? Seizures: Always prevent seizures during pregnancy! Can Epilepsy Patient Get Pregnant – drkharkar Teratogenicity: Are seizure medications safe in pregnancy? Antiepileptic Drugs in Women With Epilepsy During Pregnancy – Drkharkar Heredity: Is epilepsy a hereditary disease? Childbirth & later: Can I breastfeed if I have Epilepsy? Breastfeeding Linked To Fewer Seizures in Kids – drkharkar Checklist: Have a safe pregnancy in Epilepsy! Epilepsy and Pregnancy Discussion Checklist in India – drkharkar Caution: This information is not a substitute for professional care. Do not change your medications/treatment without your doctor’s permission.

Sub-section: Epilepsy & Pregnancy Read More »

पार्किंसन रोग के उपचार – ५ असरदार दवाइयां, पार्किंसन रोग – Parkinson’s Disease in Hindi

पार्किंसन रोग के उपचार के लिए कई दवाइयां उपलब्ध है, जिनमे से सबसे मुख्य दवाई है लेवोडोपा. पर बाकी दवाइयां भी अपनी-अपनी तरह पार्किंसन रोग के उपचार में मदत करती है. मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं पार्किंसंस का उपचार प्रदान करता हूं और भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं (Epilepsy specialist in India)। मैं भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) और भारत में पार्किंसंस की सर्जरी प्रदान करता हूं। आइये, पार्किंसंस रोग की दवाइयों के बारे में पढ़ते है. पार्किंसंस रोग की दवा: लेवोडोपा (जैसे कि Sinemet, Syndopa, Syndopa plus, Syndopa CR, Tidomet etc) (जैसे कि सिनेमेट, सिंडोपा, सिंडोपा प्लस, सिंडोपा सीआर, टिडोमेट आदि) पार्किंसन रोग के उपचार के लिए लेवोडोपा सबसे शक्तिशाली दवा है. लेवोडोपा दिमाग के अंदर जाती है, और डोपामाइन में बदल जाती है! जैसा कि यहाँ बताया गया है, पार्किंसंस रोग में दिमाग  में डोपामाइन की कमी मुख्य समस्या है. तो, लेवोडोपा इस समस्या का सीधे ईलाज करती है. एक बार जब यह दिमाग में जाती है, तो लेवोडोपा डोपामाइन में बदल जाती है. आम तौर पर, लेवोडोपा को खाली पेट लेना चाहिए. लेवोडोपा लेने से पहले और बाद में आपको कम से कम 30 मिनट (और यदि हो सके तो एक घंटे) तक कुछ नहीं खाना चाहिए. यह शरीर में इसे सोखने में मदद करता है. टैबलेट को घुलने में मदद करने के लिए आपको प्रत्येक खुराक के साथ एक गिलास पानी पीना चाहिए. कुछ रोगी लेवोडोपा लेने पर उल्टी आने की शिकायत करते हैं. आमतौर पर लेवोडोपा को खाली पेट लेना चाहिए. खाने के साथ लेने से यह शरीर द्वारा ठीक से सोखी नहीं जाती. पार्किंसन रोग के उपचार के लिए लेवोडोपा खली पेट लेनी चाहिए। लेकिन अगर उल्टी बहुत ज्यादा है, तो रोटी या ब्रेड के एक छोटे से टुकड़े के साथ लेवोडोपा ली जा सकती है. आमतौर पर, आपके डॉक्टर इस समस्या के लिए डोमपेरिडॉन जैसी दवाएं लिख सकते हैं. पार्किंसंस रोग की दवा: एंटाकैपोन लेवोडोपा का दोस्त पार्किंसन रोग के उपचार की दूसरी महत्वपूर्ण गोली है एंटाकैपोन. ये दवा COMT नामक एंजाइम को रोक कर लेवोडोपा के टूटने को रोकती है. टोलकैपोन और एंटाकॉम लेवोडोपा की रक्षा करते हैं. वे सीधे लेवोडोपा के असर को बढ़ाते हैं. एंटाकैपोन और अमंताडाइन की दवाइयां लेवोडोपा के दोस्त की तरह है. टोलकैपोन, एंटाकैपोन की तुलना में अधिक प्रभावी है. लेकिन टोलकैपोन से यकृत को काफी नुक्सान हो सकता है, और इसलिए इसे बहुत सावधानी से इस्तेमाल करने की जरुरत है. इस प्रकार से, पार्किंसन रोग के उपचार में एंटाकैपोन से लेवोडोपा को काफी मदत मिलती है. पार्किंसंस रोग की दवा: अमंताडाइन लेवोडोपा का दूसरा दोस्त पार्किंसंस रोग के कुछ रोगियों को कुछ वर्षों के ईलाज के बाद हाथ, पैर और गर्दन अति उत्तेजित हो कर ज़्यादा हिलने लगते है. ये कपकपी, डांस जैसी हरकतें हैं, जो माइकल जैक्सन के मंच पर नाचने के तरीके से मिलती-जुलती हैं. नाचने के लिए लैटिन शब्द कोरिया है, और इसलिए इस कपकपी को कोरिय-फॉर्म (नाच-जैसी) कपकपी कहा जाता है. चूँकि यह शब्द बहुत कठिन है, इसलिए इसे “डिस्केनेसिया” भी कहा जाता है. इस कपकपी को अक्सर लेवोडोपा से जोड़ा जाता है. यह लेवोडोपा लेने के 30 मिनट से 1 घंटे के बीच सबसे ज्यादा होती है. डिस्केनेसिया डांस जैसी कपकपी है. अमंताडाइन बहुत अच्छा असर करती है – यह इस तरह की कपकपी को काफी कम कर देती है. जो  रोगी इस कपकपी के कारण जरुरी लेवोडोपा नहीं ले पाते हैं, यह इसकी मदद से जितनी जरुरत हो उतनी लेवोडोपा ले सकते हैं, ताकि उनकी जिन्दगी  बेहतर हो सके. इस तरह से, पार्किंसन रोग के उपचार में अमंताडाइन की दवाई लेवोडोपा के असर को संतुलन में रखने का काम करती है. पार्किंसंस रोग की दवा: डोपामाइन एगोनिस्ट: प्रैमिपेक्सोल, रोपिरिनोल ये डोपामाइन की तरह ही दिखते हैं. ये दवाइयां खुद को उन्हीं जगहों से जोड़ते हैं जहाँ आमतौर पर डोपामाइन जुड़ता है. इसलिए, ये दिमाग में डोपामाइन के जैसा ही असर पैदा करते हैं और पार्किंसंस रोग के लक्षणों से राहत देते हैं. इसे बहुत अधिक खुराक में देने पर कुछ समस्यायें आ जाती हैं, जैसे कि दिन में बहुत नींद आना, आपा खो देना जैसे कभी कभी जुआ खेलने की लत और अच्छी नींद न आना और दिमाग का सही काम न करना जैसी परेशानियाँ पैदा हो सकती हैं. विशेष रूप से, दिन के दौरान बहुत ज्यादा नींद आने के कारण इसका इस्तेमाल कम करना पड़ता है – इस कारण इसे आप अधिक मात्रा में नहीं ले सकते. संक्षेप में, पार्किंसन रोग के उपचार में ये दवाइयां असरदार तो है. लेकिन इनके साइड-इफ़ेक्ट के कारन कई लोग इन्हे ले नहीं पाते। पार्किंसंस रोग की दवा: MAO-B अंटागोनिस्ट रसगिलिन और सेसिलीन ये दवाएं MAO नामक एक एंजाइम को रोकती हैं, जो डोपामाइन के खत्म होने को रोकता है और शरीर में इसे लंबे समय तक बनाए रखता है. MAO-B रोकने वाला बुरा असर पैदा कर सकते हैं. ये कई दवाओं के साथ रिएक्शन भी कर सकते हैं. इसलिए, मैं उन्हें बहुत सोच समझकर इस्तेमाल करता हूं, अगर इसकी जरुरत हो तो ही. पार्किंसन रोग के उपचार – संक्षेप में १. लेवोडोपा की दवाई पार्किंसन रोग के उपचार में सबसे असरदार है. २. एंटाकैपोन की दवाई लेवोडोपा के असर को बढ़ाती है, और ज़्यादा देर तक टिकाती है. ३.  अमंताडाइन की दवाई लेवोडोपा के असर को नियंत्रित करती है. लेवोडोपा से होने वाले अत्यधिक हिलने को काम करती है. ४. डोपामाइन एगोनिस्ट (प्रैमिपेक्सोल, रोपिरिनोल) पार्किंसन रोग के उपचार में असरदार है. मगर इनसे थोड़े लोगों को ज़्यादा नींद आती है. ५. MAO-B अंटागोनिस्ट (रसगिलिन और सेसिलीन): पार्किंसन रोग के उपचार में इन दवाइयों का ज़्यादा उपयोग नहीं किया जाता. पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में जरूर पढ़े. पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में पढ़े! पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े १. Tremors Meaning in Hindi [ हाथ-पांव की कंपन का मतलब और कारण! ]२. Parkinson’s Meaning in Hindi [ पार्किंसंस रोग का अर्थ ]३. Parkinson’s symptoms in Hindi [पार्किंसंस रोग के लक्षण]४. Parkinson’s treatment in Hindi [पार्किंसंस का उपचार]५. Parkinson’s new treatment (DBS) in Hindi [पार्किंसंस रोग नए उपचार] चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए

पार्किंसन रोग के उपचार – ५ असरदार दवाइयां, पार्किंसन रोग – Parkinson’s Disease in Hindi Read More »

कंपन का अर्थ (३ महत्वपूर्ण कारण) ! – Tremor meaning in Hindi

Tremor meaning in Hindi है कंपन. इसीलिए,  Tremor का मतलब जानने के लिए हमें कंपन का अर्थ जानना होगा. जब हमारे हाथ-पाँव अनियंत्रित आगे-पीछे हिलने लगते है, तो हम इसे अंग्रेजी में ट्रेमोर कहते है. काफी लोग हाथ-पांव की कंपन से त्रस्त होते है. कंपन के दो मुख्य कारण है पार्किंसंस रोग और “एसेंशियल ट्रेमर”. लेकिन कंपन के बाकी कारण भी हो सकते है, जैसे के दवाई के दुष्परिणाम. मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं पार्किंसंस का उपचार प्रदान करता हूं और भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं (Epilepsy specialist in India)। मैं भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) और भारत में पार्किंसंस की सर्जरी प्रदान करता हूं। आइये, कंपन का मतलब और कंपन के इन तीन कारणों के बारे में जाने. कंपन का अर्थ (Tremor meaning in Hindi) आम तोर पे हमारे सारे अंग नियंत्रित तरीके से हिलते है. जब आप हाथ हिलना चाहते तो, तब आपका दिमाग हाथ को हिलने का संकेत देता है. वहां की मासपेशियां खींचती है. और आपका हाथ हिलता है! ये नियंत्रित हिलना हर चीज़ के लिए जरूरी है – पानी पीना, खाना खाना, चबाना, बात करना – सब इस नियंत्रित हिलने पर निर्भर होता है. कंपन या ट्रेमर का हिंदी में अर्थ है – हाथ-पांव का घडी के लंगर की तरह आगे-पीछे, अनियंत्रित हिलना पर कभी-कभी, दिमाग का ये काम अनियंत्रित हिलने लगता है. इससे का हाथ या पांव घडी के लंगर (पेंडुलम) की तरह आगे-पीछे हिलने लगता है. ऐसा दो स्थितियों में हो सकता है: १) बैठे-बैठे होने वाली कंपन: इसे आराम-की-कंपन या फिर अंग्रेजी में “Rest Tremor” कहते है. ये अक्सर पार्किंसंस रोग का लक्षण होता है. २) कुछ काम करते हुए होने वाली कंपन: जैसे लिखते हुए, या फिर पानी पीते हुए. इसे अंग्रेजी में “कार्य-की-कंपन” या “Action Tremor” कहते है. ये अक्सर “एसेंशियल ट्रेमर” नाम की बीमारी का लक्षण होता है. लिखते समय होने वाली कम्पन अक्सर “एसेंशियल ट्रेमर” के वजह से होती है. तो फिर Tremor meaning in Hindi जानने के लिए, आपको ये दो प्रकार की कंपन याद रखनी पड़ेगी. “आराम-की-कंपन” और “कार्य की कंपन”. कंपन (Tremor) क्यों होती है? पार्किंसंस रोग और एसेंशियल ट्रेमर के आलावा, कंपन के कारण अनेक है. कंपन के दो मुख्य कारण (Diseases causing Tremor in Hindi) अब, बहोत ही जरूरी जानकारी है. ध्यान से पढ़े. कंपन (Tremor) पैदा करने वाली दो मुख्य बीमारियां है: पार्किंसंस रोग और एसेंशियल ट्रेमर. पार्किंसंस ट्रेमर का मतलब हिंदी में (Parkinson’s Tremor meaning in Hindi): पार्किंसंस रोग एक ख़ास तरह की बीमारी है. पार्किंसंस रोग के लक्षण विस्तार में दूसरे लेख में बताये गए है. मगर पार्किंसंस रोग के लक्षण में संक्षेप में यहाँ पर बताता हूँ: १. आराम-की-कंपन: पार्किंसंस रोग में ट्रेमर आराम करते समय अधिक होता है. इसलिए इसे आराम-की-कंपन या अंग्रेजी में “Rest Tremor” कहा जाता है. पार्किंसंस रोग की कंपन शुरू में शरीर के एक तरफ से शुरू होती है. उधारण के तोर पे – एक हाथ या फिर एक पाँव में कंपन होने लगती है. कुछ समय बाद, शरीर के बाकी अंग में भी कंपन होने लगती है. जब रोग बढ़ जाता है, तो पुरे शरीर में कंपन हो सकती है. आइये, Parkinson’s Tremor meaning in Hindi और ऐसी आराम-की-कंपन समझने के लिए का एक वीडियो देखे: २. धीमापन: मरीज़ का चलना, बात करना, खाना-पीना सभ कुछ धीमा हो जाता है. इन सब की गति बहोत काम हो जाती है. ३. सख्तपन: मरीज़ को एक हाथ या एक पाँव भारी लगने लगता है. मरीज़ को उस हाथ/पैर के जोड़ झुकने के लिए बहुत तकलीफ होती है. पार्किंसंस रोग के लक्षण काफी है. मेरी राय है के आप इन अन्य लक्षणों के बारे में पढ़े [यहाँ दबाए]. एसेंशियल ट्रेमर का मतलब हिंदी में (Essential Tremor meaning in Hindi): एसेंशियल ट्रेमर बहुत आम बीमारी है. एसेंशियल ट्रेमर की बीमारी में, जब मरीज़ कुछ कर रहा है तब उसके हाथ ज़्यादा हिलते है. इस कंपन (ट्रेमर्स) को कार्य-की-कंपन या अंग्रेजी में “Action Tremor” केहते है. अब इस व्यक्ति को देखिये. बैठे-बैठे इनके हाथ नहीं हिलते. पर जैसे ही ये कुछ करने जाते है, तो दोनों हाथों कंपन आती है. इसी कंपन को कार्य-की-कंपन या Action-Tremor केहते है. एसेंशियल ट्रेमर (कंपन) के थोड़े और खास लक्षण होते है. १. ये शरीर के दोनों बाजु एक साथ शरु होती है. २. अक्सर आवाज़ भी कांपती है. ३. अक्सर यह माता पिता से बच्चों में अनुवांशिक रूप से आती है. ४. ये कंपन टेंशन, अत्यधिक चाय या कोफ़ी से बढ़ जाती है. ५. अगर आप शराब का सेवन करते है – तो थोड़ी भी शराब पिने के बाद ये कंपन रुक जाती है. थोड़ी देर के लिए! थोड़ी सी एल्कोहल लेने से एसेंशियल ट्रेमर की वजह से हाथों का कांपना कम हो सकता है. शराब पीना तो किसी बीमारी का इलाज नहीं हो सकता!!! इसलिए हम इन दोनों बिमारियों की दवाइयों के बारे में भी बात करेंगे. संक्षेप में: अगर आपको आराम-की-कंपन है, तो आपको पार्किंसंस रोग हो सकता है. अगर आपको कार्य-की-कंपन है, तो आपको एसेंशियल ट्रेमर की बीमारी हो सकती है. इन दो बिमारियों से होने वाली कम्पन का अर्थ मेरे इस वीडियो में भी बताया गया है: कंपन पैदा करने वाली दवाइयां (Medications causing Tremor in Hindi): क्या आप जानते है, के थोड़ी दवाइयों से कंपन हो सकती है? दवाइयों से होने वाली कंपन अक्सर ज़्यादा तीव्र नहीं होती. अक्सर ये दवाइयां कोई बहोत जरूरी कारण के लिए दी जाती है – जैसे के सास की नाली खुली रखना. इसलिए, इन दवाइयों को डॉक्टर की सलाह बिना बिलकुल बंद ना करे! Tremor meaning in Hindi जानते जानते, खूद से डॉक्टर का कार्य करने की बड़ी गलती ना करे! थोड़ी दवाइयों से कंपन हो सकती है. दवाई का नाम आम तोर पे, उसका कार्य 1. वेलप्रोएट (Valproate) खेच आने से रोकता है 2. अलबूटेरोल, सालबुटेमॉल इत्यादि (Albuterol, Salbutamol etc) सांस की नाली को खुला रखती है 3. अमिओडेरोन (Amiodarone) ह्रदय की धड़कन को बरकार रखती है 4. लिथियम (Lithium) मन को शांत रखती है इत्यादि….. कंपन (Tremor) पैदा करने वाली बाकी दवाइयों की सूचि आपको यहाँ पे मिल जायेगी [यहाँ दबाए]. ज़्यादा तर मरीज़ो में, डॉक्टर कोई वैकल्पिक (alternative, दूसरी) दवाई  दे सकते है. इससे आपकी कंपन कम

कंपन का अर्थ (३ महत्वपूर्ण कारण) ! – Tremor meaning in Hindi Read More »

पार्किंसंस रोग के लक्षण (क्या सच में सिर्फ ३ ही लक्षण है ???)

कई लोग आपसे कहेंगे के पार्किंसंस रोग के लक्षण सिर्फ ३ है. पर ये अधूरा सच है. पार्किंसंस रोग के मुख्य ३ लक्षण है: पार्किंसंस रोग के लक्षण १ . हाथ-पांव की कंपन २ . सभी कार्य, जैसे चलने-फिरने में धीमापन ३ . हाथ-पांव में जकड़न या सख्तपन इन ३ लक्षणों के आलावा, पार्किंसंस के कई ऐसे लक्षण है जिनसे रोज़-मर्दा की ज़िन्दगी मुश्किल हो जाती है. इन सब का इलाज है. अफ़सोस की बात ये है, के इन अन्य पार्किंसंस के लक्षणों को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है. पर सिर्फ पार्किंसंस रोग के लक्षण जानने से आपकी जानकारी पूरी नहीं होगी. पार्किंसंस रोग का अर्थ पूरी तरह जानने के लिए, पार्किंसंस रोग क्यों होता है ये जानना भी उतना ही जरूरी है. मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं पार्किंसंस का उपचार प्रदान करता हूं और भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं (Epilepsy specialist in India)। मैं भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) और भारत में पार्किंसंस की सर्जरी प्रदान करता हूं। आइये, इन चीज़ों के बारे में जानते है. पार्किंसंस रोग के लक्षण पार्किंसंस रोग का अर्थ  (Parkinson’s meaning in Hindi) समझने का पहिला कदम. पार्किंसंस रोग के लक्षण कई होते है. पर आम -तोर पर अगर आप डॉक्टरों से भी पूछो, तो वह भी “हाथ-पांव की कंपन” ये मुख्य  बताएँगे. पर इस कंपन के आलावा, दो और लक्षण बहोत महत्वपूर्ण है. पार्किंसंस रोग के लक्षण १ . हाथ-पांव की कंपन २ . सभी कार्य, जैसे चलने-फिरने में धीमापन ३ . हाथ-पांव में जकड़न या सख्तपन आइये इन तीन पार्किंसंस रोग के लक्षण के बारे में बात करते है. इसके आलावा जो बाकी तकलीफे है, उनके बारे में बाद में बात करेंगे. पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक एक: कंपन पार्किंसंस रोग में हाथ-पांव के हिलने पर नियंत्रण काम हो जाता है. हाथ या पैर या दोनों का कांपना पार्किंसंस रोग का सबसे अधिक पहचाना जाने वाला लक्षण है. जब मरीज़ एक जगह पे भी बैठा तो, तो फिर भी उसके हाथ या पांव घडी के लंगर के तरह हिलते है. इस हिलने को अंग्रेजी में ट्रेमर कहते है. क्योंकि पार्किंसंस रोग में ये हाथ आराम से बैठे होने पे भी हिलते है, इसलिए इस कंपन को अंग्रेजी में “आराम के कंपन” या “रेस्ट ट्रेमर” कहते है. “आराम की कम्पन” ये पार्किंसंस रोग के लक्षण में से सबसे जाना-माना है. इस “आराम की कम्पन” का उधारण देखने के लिए निचे वाला वीडियो चलाए: https://youtu.be/e532YW-Zwf0 लेकिन पार्किंसंस रोग के मरीज़ो के हाथ या पांव कुछ करते हुए भी हिल सकते है. जैसे अगर वो कोई कार्य (action) करने जाए, तो उनके हाथ आगे-पीछे हिल सकते है. इस कम्पन की वजह से, पानी पीना या लिखना मुश्किल हो सकता है. जब पार्किंसंस की बीमारी शुरू होती है, तब ये कम्पन किसी एक ही पांव या हाथ से शुरू होती है. पर बाद में धीरे-धीरे बढ़ कर बाकी हाथ या पांव में ये फेल सकती है. थोड़े सालों बाद, अगर इलाज न किया गया, तो पुरे शरीर में कम्पन का असर दिखाई देता है. https://youtu.be/wZZ4Vf3HinA पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक तीन: धीमापन पार्किंसंस रोग के लक्षण कई है, मगर धीमापन ये लक्षण शायद कम्पन से भी ज़्यादा तकलीफ दायक है. धीमापन सभी कार्यो में आ जाता है. मरीज़ धीमे चलने लगता है. पार्किंसंस रोग के मरीजों के एक समूह में चलने पर वह “पीछे छूटे” मिल सकते हैं क्योंकि वे धीरे-धीरे चलते हैं. कभी कभी लोग उनका मज़ाक भी उड़ाते है: अरे चाचा! जल्दी चलो ना! कितना धीरे-धीरे चल रहे हो! ये मज़ाक जायज़ नहीं है. पार्किंसंस रोग के मरीज़ धीमा चलते है, क्योंकि इलाज के बिना, उनकी बीमारी उन्हें तेज़ चलने नहीं देती. पार्किंसंस के मरीज़ किस तरह धीरे चलते है, ये देखने के लिए निचे वाला वीडियो चलाए: https://youtu.be/pFLC9C-xH8E अगर आप ध्यान से देखेंगे, तो ये धीमापन आपको सभी कार्यो में नज़र आएगा – अगर आपको पार्किंसंस रोग है, तो आप का खाना, लिखना, पानी पीना, बात करना, नहाना, कपडे पेहेनना, सभी कुछ धीमा हो जाता है. इस धीमेपन को अंग्रेजी में “Bradykinesia” (ब्रेडीकायनेसिया) कहते है. जैसे जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे वैसे ये धीमापन बढ़ने लगता है. अगर पार्किंसंस रोग का उपचार ना किया जाये, तो थोड़े सालों बाद इस धीमेपन के वजह से रोज़ मर्दा की ज़िन्दगी के काम – जैसे नहाना या खुद से कपडे पेहेनना भी मुश्किल हो सकते है. पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक तीन: सख्तपन पार्किंसंस रोग के लक्षण के बारे में बात करे, तो हाथ या पांव में जकड़न के बारे में बात करना जरूरी है. अगर हाथ में जकड़न हो जाये तो लिखना मुश्किल हो सकता है. पर अक्सर जकड़न कंधे के यहाँ ज़्यादा होती है. इसलिए, बल बनाने या कुर्ता पहनने जैसी चीज़े, जिनके लिखे पूरी बाज़ू को सर के ऊपर उठाना पड़ता है, मुश्किल हो जाती है. अगर पांव में जकड़न होती है, तो आपको ऐसे लगेगा के आपका पांव जमीन से उठाने में तकलीफ हो रही है. हो सकता है के आपके साथी ये बोले के आप चलते समय ज़मीन पे पांव घसीटते है. बाहों की कठोरता से आपके बालों को कंघी करने या कुछ कपड़े पहनने में मुश्किल हो सकती है. यह तीन लक्षण भी Parkinson’s meaning in Hindi या पार्किंसंस रोग का अर्थ जानने में अत्यंत महत्वपूर्ण है. पर आगे की पूरी कहानी जानना बहोत जरुरी है. पार्किंसंस रोग के लक्षण क्रमांक चार: संतुलन खोना अक्सर डॉक्टर भी पार्किंसंस रोग के लक्षण की तरफ ध्यान देते है. पर पार्किंसंस रोग के लक्षणों में संतुलन खोने का लक्षण बहोत महत्वपूर्ण है. पार्किंसंस के मरीज़ चलते हुए थोड़ी भी ठोकर लगे तो गिर सकते है. कभी कभी तो ठोकर इतनी मामूली होती है, जैसे ज़मीन की थोड़ी ऊंच-नीच, के पता ही नहीं लगता के ये गिर कैसे गए. पार्किंसंस रोगके मरीज़ गिर सकते है, और इससे इससे गेहेरी चोट हो सकती है. पार्किंसंस रोग के मरीज़ आसानी से गिर सकते है.इस तरह गिरने से बड़ी चोट या घाव हो सकते है. इसलिए, गिरने से बचना बहोत जरूरी होता है. अगर गिरने की तकलीफ शुरू हो जाए, तो तुरंत चलते समय

पार्किंसंस रोग के लक्षण (क्या सच में सिर्फ ३ ही लक्षण है ???) Read More »

Parkinson’s Plus Syndromes [5 important mimics]

What are the Parkinson’s Plus Syndromes? It is best to think of the Parkinson’s Plus syndromes as the sisters of Parkinson’s disease. Although many diseases are similar to Parkinson’s disease, the changes they produce and their symptoms are slightly different. It’s why we think of these diseases as the sisters of Parkinson’s disease. Another name for them is the “Parkinson’s Plus” syndromes. PSP, MSA, CBD, and other “Parkinson’s Plus” diseases are like the sisters of Parkinson’s disease. There are three common Parkinson’s Plus syndromes. Parkinson’s Plus Syndromes 1. Progresive Supranuclear Palsy (PSP)2. Multiple System Atrophy (MSA)3. Cortico Basal Degeneration (CBD) Ideally, the specific Parkinson’s Plus Syndrome should be identified correctly before the start of treatment. But in the early stages of the disease, this may be difficult, and sometimes impossible. You ca read more here [external link: Frontiers in Neurology]. Because it is sometimes impossible to tell PSP, MSA, and CBD apart, doctors sometimes diagnose the patient as having a “Parkinson’s Plus” syndrome without noting the specific disease. As the years go by, the appearance of characteristic features (such as eye movement problems in PSP) may enable your doctor to make a more precise diagnosis. Which Symptoms May Indicate a Parkinson’s Plus Syndrome? If you have any of the following features, you may have a Parkinson’s Plus syndrome. These features are called “red flags”. This means that if you have one of these symptoms, your doctor is supposed to pause and think. Red flag. Your doctor will be extra careful if you have any of the following symptoms. ‘Red Flags’ suggesting that you may have a Parkinson’s Plus Syndrome 1. Lack of response to Levodopa.2. Frequently falling down, especially backwards.3. Severe talking or swallowing problems.4. Problems with eye movement.5. Impotence.6. Blurring of vision.7. Blacking out when rising from a seated position.8. Problems with thinking or memory loss.9. Personality changes.10. Symptoms only in the legs while the arms and hands are completely normal.11. Rapid progression of the disease What is the Treatment for a Parkinson’s Plus Syndrome? The treatment for a Parkinson’s Plus syndrome is the same as the treatment for Parkinson’s disease itself. Many patients respond to Levodopa. However, what’s challenging is that sometimes Levodopa does not have a dramatic effect. It may also happen that this effect may not last for many years. Therefore, the response to levodopa is somewhat unpredictable. Once it enters the brain, Levdoopa is converted into Dopamine. That being said, a significant proportion of patients with Parkinson’s Plus syndromes respond positively to a comprehensive treatment effort. This effort should include the treatment of special problems associated with each syndrome. Therefore, it is crucial to figure out which kind of Parkinson’s Plus syndrome early you have so that these specific problems can be treated. For example: In PSP, the patient frequently falls backwards because the areas of the brain responsible for balance are not functioning well. In this case, balance training can help. In MSA, the patient can fall because of a drop in blood pressure when they get up. In this case, they should drink enough water and try to get up slowly to prevent falls. Some medications can also prevent falls. What is Progressive Supranuclear Palsy (PSP)? PSP is the most common of the “Parkinson’s Plus” syndromes. Patients with PSP frequently fall backwards. To know more about PSP, click here: [PSP patient guide] What is Multiple System Atrophy (MSA)? MSA is the second most common of the “Parkinson’s Plus” syndromes. Patients with MSA have trouble with a part of their nervous system that controls blood pressure, heart rate, sweating and sexual function. To know more about MSA, click here: [MSA in detail] What are Other Types of Parkinson’s Plus Syndromes? There are many other Parkinson’s Plus Syndromes. Since it’s not possible to describe each of these in detail here, I will mention their names and certain key characteristics. Corticobasal Degeneration: Characterized by difficulty using automatic movements of an arm or hand. Dementia with Lewy Bodies: Characterized by hallucinations & disorganized behaviour. Frontotemporal dementia (“Pick’s disease”): Characterized by personality changes, including impulsivity and dis-inhibition. Here is a nice review of many Parkinson’s Plus Syndromes. It is very nicely written, but a bit detailed: [McFarland et al 2016, Neurology Continuum]. PSP patient guide 1. What are the Parkinson’s Plus syndromes?2. What is PSP?3. 30+ Mimics of Parkinson’s & PSP 4. PSP treatment & new research:   (a) Do we have a miracle cure for PSP?   (b) Levodopa – actions & side-effects   (c) Amantadine – actions & side-effects 5. How to avoid aspiration6. How to avoid falling7. Avoid these medications!8. Get updates by email Caution: This information is not a substitute for professional care. Do not change your medications/treatment without your doctor’s permission.

Parkinson’s Plus Syndromes [5 important mimics] Read More »

पार्किंसंस रोग नए उपचार: चमत्कार इलाज? डीप ब्रेन स्टिमुलेशन

शायद आपने पार्किंसंस रोग नए उपचार के संधर्ब में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) के बारे में सुना होगा. क्या ये पार्किंसंस का चमत्कार इलाज है? क्या ये बिलकुल व्यर्थ है? इन दोनों सवालों का जवाब “नहीं” है. ना तो डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) पार्किंसंस का चमत्कार इलाज है, और ना ही ये बिलकुल व्यर्थ है. DBS थोड़े भाग्यशाली लोगों के लिए एक जबरदस्त नया उपचार है. पर इससे, या कोई भी बीमारी के किसी भी इलाज से चमत्कार इलाज की आशा रखना जायज़ नहीं. क्या होता है डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन? कौनसे लोगों को DBS का फायदा होता है? कितने लोगों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) सफल होता है? मैं डॉ सिद्धार्थ खरकर, ठाणे में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Thane) हूं। मैं मुंबई में एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist in Mumbai) के रूप में भी काम करता हूं। मैं पार्किंसंस का उपचार प्रदान करता हूं और भारत में मिर्गी विशेषज्ञ हूं (Epilepsy specialist in India)। मैं भारत में मिर्गी की सर्जरी (Epilepsy surgery in India) और भारत में पार्किंसंस की सर्जरी प्रदान करता हूं। आइये पढ़ते है…   Table Of Contents पार्किंसंस रोग नए उपचार में डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) क्या होता है? कौनसे लोगों को डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) का फायदा होता है? पार्किंसंस रोग नए उपचार डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) कितने लोगों में सफल होता है? क्या डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) पार्किंसंस का चमत्कार इलाज है? डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) के क्या दुषपरिणाम हो सकते है? डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन से कितने मरीज खुश हैं? पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े डॉ सिद्धार्थ खारकर पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े डॉ सिद्धार्थ खारकर पार्किंसंस रोग नए उपचार में डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) क्या होता है? डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) छोटी मशीन का इस्तेमाल करके दिमाग को बिजली से उत्तेजित करना है. DBS कई दिमागी भागों को उत्तेजित कर सकता है. DBS कई बीमारियों में इस्तेमाल  किया जाता है. यह केवल “पार्किंसंस सर्जरी” के लिए नहीं है. इसका इस्तेमाल मिर्गी और चलने से संबंधी अन्य परेशानियों के लिए भी किया जा सकता है. पर यहाँ हम सिर्फ पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में बात करेंगे. DBS बैटरी को छाती की त्वचा के नीचे डाला जाता है. बैटरी से दो छोटे तार सिर तक जाते हैं. तार खोपड़ी के माध्यम से जाते हैं. उन्हें दिमाग के जरुरी जगह में डाला जाता है. एक डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन प्रणाली – बैटरी / पेसमेकर को छाती में त्वचा के नीचे रखा जाता है. दिमाग के अंदर जाने वाले तार को “इलेक्ट्रोड” कहा जाता है पार्किंसंस रोग के लिए: दिमाग का यह जरुरी भाग आमतौर पर “सबथैलेमिक न्यूक्लियस (एसटीएन)” है. कुछ रोगियों में, दिमाग की एक अन्य जगह को लक्ष्य के रूप में चुना जाता है. यह अन्य जगह ग्लोबस पल्लीडस इंटर्ना (जीपाई) है. जगह को कैसे चुना जाता है? इस लेख को पढ़ें   [यहाँ क्लिक करें] DBS एक दम से पार्किंसंस के लक्षणों में सुधार कर सकता है. इंटरनेट पर पहले-बाद के कई वीडियो उपलब्ध हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका में न्यूरोमेडिकल सेंटर का यूट्यूब पर पोस्ट किया गया एक वीडियो है. https://youtu.be/wZZ4Vf3HinA ये वीडियो देखने के बाद आपको बिलकुल ही अचरज नहीं होगा के डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन को पार्किंसंस रोग नए उपचार में  मुख्य इलाज माना जाता है. कौनसे लोगों को डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) का फायदा होता है? डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन करवाने का एक ही कारण है. यदि – दवाएँ लेने के बावजूद – पार्किंसंस रोग के कारण आपके जीवन में परेशानियां हैं तो आपको डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन करवाना चाहिए. डॉक्टर इसे “विकलांगता” या “डिसेबिलिटी” कहते हैं. ऐसे वक़्त पे, पार्किंसंस रोग नए उपचार के बारे में सोचना चाहिए. आप जानते हैं, पार्किंसंस रोग के काफी आगे स्टेज के मरीज भी लिवोडोपा की एक बड़ी खुराक के बाद ठीक हो जाते हैं! तो मरीज को काम करने चलने फिरने में परेशानी क्यूँ आ रही है? मोटर के उतार-चढ़ाव के कारण ये परेशानी हैं. आइए हम 2 सबसे आम उतार-चढ़ाव देखें: १. अपेक्षित असर कम होना: लिवोडोपा को लेने के बाद आपको लगभग ठीक लगने लगता है. लेकिन असर बहुत जल्द ही खत्म हो जाता है. थोड़े लोगों में लिवोडोपा का असर थोड़े ही घंटो तक रहता है. यह 2 घंटे के बाद या कभी-कभी 1 घंटे के बाद भी खत्म हो सकता है. आप सचमुच यह बता सकते हैं कि क्या होने जा रहा है. फिर आप दूसरी खुराक लेते हैं, और आप ठीक हो जाते हैं. लेकिन फिर 1-2 घंटे के अंदर, यही बात होती है! यहां ओरियन फार्मा द्वारा पोस्ट किया गया एक वीडियो है. सुश्री डोरेन नामक एक मरीज ने उसके ऊपर होने वाले असर के  गायब होने के बारे में बताया है: यह “असर खत्म” होने की परेशानी ही डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन सर्जरी कराने का सबसे आम कारण है. २. खुराक–सीमित करना- डिस्केनेसिया: शुरू में, आपने लिवोडोपा की छोटी खुराक ली. जैसे-जैसे साल बीतते गए, आपको बड़ी खुराक की जरूरत पड़ने लगी . ठीक है. आप फिर भी ठीक महसूस कर रहे थे. लेकिन कुछ लोग नोटिस करते हैं कि जब वे बड़ी खुराक लेते हैं, तो उनका शरीर कांपने लगता है. डिस्केनेसिया डांस जैसी कपकपी है. अगर ये अनियंत्रित हो, तो DBS को इस्तेमाल किया जा सकता है. इन अधिक कम्पन को धीमी ब्रेक-डांसिंग की तरह देखा जाता है. इसे “डिस्केनेसिया” कहा जाता है. यह काफी खतरनाक  हो सकता है. यहाँ लिवोडोपा के कारण डिस्किनेसिया का एक वीडियो है. इस वीडियो को सुश्री टेसी नाम की एक बहादुर मरीज ने यूट्यूब पर पोस्ट किया है. तो, कुछ लोग एक अजीब स्थिति में हैं. जरुरी मात्रा में लिवोडोपा न लें, तो शरीर के अंग कठोर हो जाते हैं. लिवोडोपा जरुरी मात्रा में लें, तो डिस्केनेसिया हो जाता है. खतरनाक “डिस्केनेसिया” के कारण मरीज़ उतना अधिक लिवोडोपा नहीं ले सकते, जितना उन्हें चाहिए. इसका उपाय डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन है. डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन इन समस्याओं को कण्ट्रोल करने में मदद करता है.  [एसटीएन बनाम जीपाई डीबीएस]. पार्किंसंस रोग नए उपचार डीप-ब्रेन-स्टिमुलेशन (DBS) कितने लोगों में सफल होता है? ८५-९०% डीबीएस से बहुत से पार्किंसंस रोगी ठीक हो जाते हैं. मेडट्रॉनिक के आंकड़ों के अनुसार, 85-90% रोगियों में DBS के बाद बहुत अच्छा सुधार होता है. DBS सभी लक्षणों को बराबर कम नहीं करता है. यह कुछ लक्षणों को खासकर कम करता है. अधिकतर समय में: DBS से कपकपी, जकड़न और सुस्ती काम हो जाते है. रोगी तेजी से चलते हैं. हालांकि, DBS असंतुलन को कम नहीं करता है. DBS

पार्किंसंस रोग नए उपचार: चमत्कार इलाज? डीप ब्रेन स्टिमुलेशन Read More »

About Dr. Siddharth Kharkar (Ghodbunder road – Hiranandani – KIMS Thane – Ph: 7276249168)

Dr. Siddharth Deepak Kharkar MBBS, MD (Neurology, USA), MHS Call: 7276249168 Recognized as one of theBest Neurologists in ThaneBest Neurologist in Ghodbunder Road, Hirandani Estate, KIMS HospitalBy India Today magazine (2020, 2021, 2023) & Outlook India Magazine (2020, 2023).Best Epilepsy specialist in Thane, India Parkinson’s Disease Specialist in ThaneCall  –  727 – 624 -9168Dr. Siddharth Kharkar has been recognized as one of the best neurologists in Mumbai by Outlook India magazine and India today Magazine.Dr. Kharkar is a USA board certified (American Board of Psychiatry & Neurology certified) Neurologist. He has trained in the best institutions in India, US and UK including KEM hospital in Mumbai, Johns Hopkins University in Baltimore, University of California at San Francisco (UCSF), USA & Kings College in London.Dr. Siddharth Kharkar was part of the Epilepsy faculty at the University of Alabama in Birmingham, USA.Currently, Dr. Siddharth Kharkar is a General Neurologist, Epilepsy specialist (Seizure specialist) & Parkinson’s specialist practicing in Mumbai, India.He is also one of the current International coordinators of the Non-Motor Parkinson’s disease study Group (International Parkinson’s and Movement Disorder Society). Please click one location KIMS Hospital (Thane)ThaneVasai-VirarNeuro+ Epilepsy & Parkinson’s Clinic – Dr. Kharkar105, 1st Floor, KIMS Hospital, Queens St, near Brentford cooperative society, Hiranandani Estate, Thane West, Thane, Mumbai, Maharashtra 400615Call  –  727 – 624 -9168neuroplusclinic@gmail.com Locations Nanavati Hospital (Mumbai)Thane & nearby areasVasai-Virar & nearby areas Experience MBBS – King Edward Memorial Hospital, Mumbai, India MHS – Johns Hopkins University, Baltimore, USA Research Coordinator, Department of Neurosurgery, Johns Hopkins University, Baltimore, USA Residency in Internal Medicine – Washington Hospital Center, Washington DC, USA Residency in Neurology – Drexel University, Philadelphia, USA Fellowship in Epilepsy – University of California at San Francisco (UCSF), USA Clinical attachment in Movement disorders, Kings College, London, UK Assistant Professor of Epilepsy, University of Alabama at Birmingham (UAB), Birmingham, USA Consultant Neurologist, Wockhardt Group of Hospitals, Mumbai, India Consultant Neurologist, Nanavati Hospital, Mumbai India International coordinator for the Non-Motor Parkinson’s disease study Group (International Parkinson’s and Movement Disorder Society). Honors and Awards 2020 – “Top Neurologists in Mumbai” – Outlook India Magazine 2020 – “Best Neurologists in Mumbai” – India Today Magazine 2021 – “Best Neurologists in Mumbai” – India Today Magazine 2011 – Best Resident Research project award – Drexel University, USA 2010 – Selected for the national “Neurology Residents Scholar Program” for epilepsy training, Drexel University, USA 2008 – Humanitarian Resident of the Year award, Drexel University, USA Member of: Indian Academy of Neurology Maharashtra Association of Neurology American Academy of Neurology American Epilepsy Society International Parkinson’s & Movement Disorders Society Invited Reviewer Journal of Parkinson’s disease Epilepsy Research Annals of Neurology Neurosurgery Journal of Neurosurgery Selected publications Kharkar, S., Ellenbogen, J. R., Samuel, M., Rizos, A., Silverdale, M., Chaudhuri, K. R., & Ashkan, K. Changes in Parkinson’s disease sleep symptoms and daytime somnolence after bilateral subthalamic deep brain stimulation in Parkinson’s disease. NPJ Parkinson’s Disease, 2018, 4, 16 Kharkar S, Knowlton RD: Magnetoencephalography in the presurgical evaluation of epilepsy. Epilepsy and Behavior. 2014 Dec 30. pii: S1525-5050(14)00648-9 Kharkar S, Rochestie D, Pillai J, Haneef Z: Anti-epileptic Drug Prescription Patterns and Socio-economic status– Seizure. 2014 Apr;23(4):290-4 A. Manuscripts: Kharkar S, Taksande A: Cryptic Cardiac Arrythmia Uncloaked by Anti-epileptic therapy: World Congress of Neurology, Dubai 2019 Kharkar S, Taksande A, Dhamne M: Prinzmetal’s Angina in Myotonic Dystrophy:  World Congress of Neurology, Dubai 2019 Kharkar, S., Ellenbogen, J. R., Samuel, M., Rizos, A., Silverdale, M., Chaudhuri, K. R., & Ashkan, K. Changes in Parkinson’s disease sleep symptoms and daytime somnolence after bilateral subthalamic deep brain stimulation in Parkinson’s disease. NPJ Parkinson’s Disease, 2018, 4, 16 Kharkar S, Knowlton RD: Magnetoencephalography in the presurgical evaluation of epilepsy. Epilepsy and Behavior. 2014 Dec 30. pii: S1525-5050(14)00648-9 Kharkar S, Rochestie D, Pillai J, Haneef Z: Anti-epileptic Drug Prescription Patterns and Socio-economic status– Seizure. 2014 Apr;23(4):290-4 Kharkar S, Venkatesh YS, Grothusen JR, Rojas L, Schwartzman RJ. Skin biopsy in complex regional pain syndrome: case series and literature review. Pain Physician. 2012 May-Jun;15(3):255-66. Kharkar S, Ambady P, Yedatore YV, Schwartzman RJ: Intramuscular Botulinum Toxin A (BtxA) in Complex Regional Pain Syndrome: Case series and Literature Review – Pain Physician. 2011 May;14(3):311-6. Kharkar S; Hernandez R; Batra S, Metellus P, Hillis A; Williams MA; Rigamonti D. Cognitive Impairment in patients with Idiopathic Pseudotumor Cerebri Syndrome – Behavioral neurology, 2011 Jan 1;24(2):143-8. Metellus P, Batra S, Kharkar S, Kapoor S, Weiss S, Kleinberg L, Rigamonti D. Fractionated conformal radiotherapy in the management of cavernous sinus Meningiomas: long-term functional outcome and Tumor control at a single institution. Int J Radiat Oncol Biol Phys, 2010 Nov 1; 78(3):836-43. Kapoor S, Batra S, Carson K, Shuck J, Kharkar S, Gandhi R, Jackson J, Wemmer J, Terezakis S, Shokek O, Kleinberg L, Rigamonti D: Long-Term Outcomes of Vestibular Schwannomas Treated With Fractionated Stereotactic Radiotherapy: An Institutional Experience. Int J Radiat Oncol Biol Phys, 2010 Sep 29 (epub ahead of print). Metellus P, Kapoor S, Kharkar S, Batra S, Jackson JF, Kleinberg L, Miller NR, Rigamonti D. Fractionated Conformal Radiotherapy for Management of Optic Nerve Sheath Meningiomas: Long-Term Outcomes of Tumor Control and Visual Function at a Single Institution. Int J Radiat Oncol Biol Phys, 2010 Apr 16 (epub ahead of print). Metellus P, Hsu W, Kharkar S, Kapoor S, Rigamonti D. Percutaneous Placement of Ventriculoatrial Shunt under Ultrasonography Guidance: A Retrospective Study at a Single Institution. Technical note. J Neurosurg 2009 May; 110(5):867-70. Kharkar S, Shuck J, Wang P, Rigamonti D, Williams MA: Radionuclide Shunt Patency Study for Evaluation of Suspected Ventriculo-Peritoneal Shunt Malfunction in Adults with Normal Pressure Hydrocephalus. Neurosurgery 2009 May; 64(5):909-16. Williams MA, Thomas G, DeLateur B, Imteyaz H, Rose G, Shore W, Kharkar S, Rigamonti D: Objective Assessment of Gait in Normal Pressure Hydrocephalus. Am J Phys Med Rehabil. 2008 Jan;87(1):39-45. Kharkar S, Shuck J, Conway J, Rigamonti D: The natural history of conservatively managed symptomatic intramedullary spinal cord cavernomas. Neurosurgery, 2007 May;60(5):865-72 Goodwin C, Kharkar S, Wang P, Pujari S, Rigamonti D, Williams MA: Evaluation and treatment of patients with suspected normal pressure hydrocephalus on long term warfarin anticoagulation

About Dr. Siddharth Kharkar (Ghodbunder road – Hiranandani – KIMS Thane – Ph: 7276249168) Read More »