पार्किंसंस क्यों होता है? इसका इलाज क्या है?, पार्किंसंस रोग क्या है? [ आसान शब्दों में! ] – Drkharkar

पार्किंसंस के कारण, निदान और उपाय के बारे में ये जानकारी में अपने क्लिनिक के मरीज़ों को देता हूँ.

मुझे आशा है ये जानकारी आपको उपयोगी होगी।

इस जानकारी की PDF कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे: [Parkinsons Patient Information Handout]. आप इस PDF को निशुलक बाट सकते है.

अगर आपको बहुत विस्तार में जानकारी की जरूरत हो, तो यहाँ क्लिक करे: Parkinson’s Patient Guide.

डोपामाइन क्या है?

हमारे दिमाग के पिछेवाले हिस्से में एक छोटा-सा भाग होता है. उसे मध्यमस्तिष्क (मिडब्रेन) कहते हैं.

Dopamine helps with movement

मिडब्रेन की कोशिकाएँ एक रसायन तैयार करती हैं जिसे डोपामाइन कहा जाता है.

डोपामाइन दिमाग के पिछे से आगे की ओर जाता है, और मूड अच्छा बनाए रखने में और चलने-फिरने में मदत करता है. 

पार्किंसंस रोग क्या है?

कुछ लोगों में, मिडब्रेन की कोशिकाएँ धीर-धीरे कम होने लगती हैं.

Cause of parkinsons disease is reduction in dopamine levels

दिमाग में डोपामाइन की मात्रा कम हो जाती हैं. डोपामाइन की मात्रा कम होने की वजह से लोगों को चलने-फिरने में परेशानी महसूस होती है.

इस समस्या को “पार्किंसंस रोग” कहा जाता है.

पार्किंसंस रोग में चलने-फिरने की कौन-सी समस्याएँ देखने को मिलती हैं?

डोपामाइन की कमी से 3 मुख्य समस्याएँ होती हैं:

  1. हाथ या पैर हिलना (कंपन)
    hand shaking or hand tremor is one of the symptoms of parkinsons disease
  2. चलने-फिरने, बात करने, कपडे पहनने और चेहरे के हावभाव में धीमापन
  3. हाथ, पैर या पीठ में सख्तपन

साथ ही, पार्किंसंस रोगी अकसर शरीर का नियंत्रण खो देते हैं. वे आसानी से नीचे गिर सकते हैं.

पार्किंसंस रोग में क्या और भी कोई समस्याएँ देखने को मिलती है?

जी हाँ, बहुत सी. शायद आपको महसूस न हो कि ये समस्याएँ पार्किंसंस रोग की वजह से होती है.

constipation is a common symptom of parkinsons disease

  1. कब्ज़
  2. खाना सूँघने में दिक्कत
  3. नींद में बात करना/चिल्लाना
  4. अवसाद (निराशा), चिंता (घबराहट), भ्रम
  5. दिन में बहुत ज़्यादा नींद आना
  6. खाना निगलने में परेशानी
  7. शारीरिक संबंध रखने में परेशानी
  8. हद से ज़्यादा पसीना आना
  9. साँस लेने में परेशानी
  10. खड़े रहने पर चक्कर आना

पार्किंसंस रोग का पता कैसे लगाया जाता है?

अक्सर, लक्षण और शारीरिक जाँच के आधार पर पार्किंसंस रोग का पता लगाया जाता है.

मैं और दूसरे कई डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने के लिए कहते हैं; जैसे दिमाग का एमआरआई और खून की जाँच. अक्सर ये टेस्ट सामान्य होते हैं.

Brain disease diagnosis with medical doctor seeing Magnetic Resonance Imaging MRI film diagnosing elderly ageing patient neurodegenerative illness problem for neurological medical treatment

बहुत ही हाई रिज़ॉल्यूशन एमआरआई (3T) कभी-कभी मिडब्रेन कोशिकाओं में हुई कमी को दिखा सकता है.

एफ-डोपा स्कॅन क्या है?

पार्किंसंस का पता लगाने के लिए किए जानेवाले सटीक टेस्ट को “एफ-डोपा स्कॅन” (या ट्रोडाट स्कॅन) कहते हैं.

ये टेस्ट दिमाग में डोपामाइन की मात्रा असल में कितनी है उसे नापता है.

fDOPA scan can confirm the diagnosis of parkinsons disease

लेकिन ये टेस्ट काफी महँगा है (रु 20,000 से 30,000).

पार्किंसंस रोग का इलाज क्या है?

इलाज बहुत ही सरल है. हम पेशंट को डोपामाइन की मात्रा बढ़ाने की दवा देते हैं.

मुँह के ज़रिए लेने के लिए डोपामाइन की जो दवा दी जा सकती हैं उसे लेवोडोपा कहते हैं. लेवोडोपा दिमाग के अंदर जाकर डोपामाइन में बदल जाती है.

लेवोडोपा सस्ती, सुरक्षित और बहुत ही असरदार दवा है.

भारत में मिलनेवाले कुछ ब्रैंड के नाम है: सिनडोपा प्लस, टिडोमेट, एलसीडी, सिनेमेंट, वगैरह.

बहुत सारी दूसरी दवाइयाँ क्यों दी जाती है?

पार्किंसंस रोग जब ज़्यादा बढ़ जाता है, तो लक्षण बदल जाते हैं.

Parkinsons medications may need to be changed as you grow older

इन लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए दूसरी दवाइयाँ भी साथ में दी जाती है.

उदाहरण के लिए:

  1. अगर कुछ घंटो के बाद लेवोडोपा का असर खत्म हो जाता है, तो “एंटाकैपोन” नाम की दवा दी जाती है.
  1. लेवोडोपा की वजह से अगर आप हद से ज़्यादा डिस्को जैसे हिलने लगते हैं, जिसे “डिस्काइनेसियास” कहते हैं, तो “अमंटाडाइन” दवा दी जाती हैं.

ऐसे और भी कई उदाहरण है.

डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस – DBS) कब किया जाता है?

कुछ लोगों में, सिर्फ दवाइयों के ज़रिए लक्षणों को नियंत्रण में रखना मुश्किल होता है.

दरअसल, ऐसा बीमारी का पता लगने के कई साल बाद होता है. अगर ऐसा होता है, तो एक सर्जरी की जा सकती हैं, जिसे डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) कहते हैं.

Deep brain stimulation DBS is a surgery for Parkinsons disease

छोटे-से दो बहुत ही पतले तार आपके सिर में डाले जाते हैं. ये तार एक बैटरी से जुड़े होते हैं. बैटरी को त्वचा के नीचे रखा जाता है.

अंतिम चरणों में पहुँचे पार्किंसंस रोग के असरदार इलाज के लिए, डीबीएस बिलकुल सुरक्षित है.

आपको डीबीएस की ज़रूरत है या नहीं, ये मैं आपको बताऊँगा. कुछ लोगों को, इसकी ज़रूरत नहीं होती. इस बारे में आप मुझसे कभी भी बात कर सकते हैं.

बहुत से लोग डीबीएस (DBS) क्यों नहीं करवाते?

मुझे लगता है, कि इसके 4 कारण है:

एक बड़ी समस्या है, इसकी कीमत.
दुख की बात है, कि डीबीएस उपकरण को भारत में नहीं बनाया जाता. इसलिए, ये बहुत महँगा है.

DBS device used for the treatment of parkinsons disease

 कुछ लोगों को किसी भी सर्जरी से डर लगता है.
डीबीएस दिमाग की सर्जरी है. दो तार डालने के लिए खोपडी में सिर्फ दो छोटे छेद किए जाते हैं. ये एक सुरक्षित सर्जरी है.

बहुत से लोग गारंटी चाहते हैं.
दवा के मामले में “100% गारंटी” नहीं होती. लेकिन पार्किंसंस रोग में डीबीएस से बहुत से लोगों को फायदा होता है.

बहुत से लोगों ने डीबीएस के बारे में कभी सुना ही नहीं.  अब आपने सुना है!

क्या कुछ दवाइयाँ ऐसी है जिन्हें टालना चाहिए?

कुछ दवाइयाँ दिमाग में डोपामाइन की मात्रा को कम करती है. इनसे पार्किंसंस की तकलीफ बढ़ जाती है.

मानसिक रोग, जैसे की सिज़ोफ्रेनिया के लिए इस्तेमाल की जानेवाली दवाइयाँ

कभी-कभी “अच्छी नींद” और अवसाद के लिए भी दी जाती हैं.

हेलोपेरिडॉल, रिस्पेरिडल, ओलांज़ापाइन, अरिपिप्राज़ोल, ट्राइफ्लुओपेराज़िन और दूसरी कई दवाइयाँ

 

क्लोज़ापिन और क्वेटायापिन से आम तौर पर समस्याएँ नहीं होती.

मूड और अवसाद के लिए दी जानेवाली कुछ दवाइयाँफ्लुफेनाज़िन, ट्रैनिल्सिपोरमिन, कभी-कभार लिथियम
मितली के लिए दी जानेवाली कुछ दवाइयाँमेटोक्लोप्रामाइड, लेवोसल्फ्युराइड (सबसे ज़्यादा समस्यावाली दवा)

डोमपेरिडोन की उच्च मात्रा, जैसे कि 30-40 मिग्रॅ/दिन, फ्लुनाराज़िन, कभी-कभार सिन्नारिज़िन

दिल और ब्लड प्रेशर की कुझ दवाइयाँअमियोडारोन, मेथिल-डोपा

कोई और निर्देश?

  1. आप लेनेवाली सभी दवाइयाँ मुझे दिखाइए. सभी दवाइयाँ, फिर चाहे वो किसी भी बीमारी के लिए हो.
  2. पार्किंसंस की आपकी दवाइयाँ हर दिन उसी समय पर लीजिए.
  3. लेवोडोपा खाली पेट लीजिए. 30 मिनट कुछ मत खाइए — और हो सके तो लेवोडोपा लेने के 1 घंटा पहले और 1 घंटा बाद में कुछ मत खाइए.
    Parkinsons medications should be taken at least 1 hour before or after food
  4. लेवोडोपा गिलासभर पानी के साथ लीजिए.
  5. चेक-अप के लिए फिर से आते समय, कृपया कम-से-कम 2 दिन के लिए डायरी भरिए.

पार्किंसंस डायरी

पार्किंसंस डायरी पेज के 5-6 झेरॉक्स लीजिए. आप drkharkar.com से खाली फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं.

कृपया नीचे दिए शब्दों का इस्तेमाल कीजिए.

  • ऑफ = जब आपमें लक्षण है/गंभीर लक्षण है.
  • = जब आपको पहले से अच्छा लग रहा है.
  • डिस्कायनेसिया: हद से ज़्यादा या असामान्य रूप से शरीर का हिलना, जैसे कि डिस्को डान्स.

इस Page की कई Xerox copy निकाले, और उस Copy पर लिखे.

Original पर कुछ न लिखे.

तारिख:

 

 

सो रहे हैं?लेवोडोपा लिया? (समय लिखिए)आपकी स्थिती कैसी थी?आपको कैसा लग रहा था?

0 = बुरा 3 = बहुत अच्छा

दूसरी समस्याएँ

उदा. कब्ज, कपडे पहन न सके, बुरे सपने, चिल्लाना, वगैरह

आधी रात – 5 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
5 AM – 6 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
6 AM – 7 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
7 AM – 8 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
8 AM – 9 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
9 AM – 10 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
10 AM – 11 AM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ
□ ऑफ
   0   1   2   3
11 AM – 12□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
दोपहर 12 – 1 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
1 PM – 2 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
2 PM – 3 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
3 PM – 4 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
4 PM – 5 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
5 PM – 6 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
6 PM – 7 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
7 PM – 8 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
8 PM – 9 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
9 PM – 10 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
10 PM – 11 PM□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3
11 PM – आधी रात□ ऑन □ ऑन-डिस्कायनेसिया के साथ

□ ऑफ

   0   1   2   3

Keywords – पार्किंसंस रोग, पार्किंसंस रोग नए उपचार, पार्किंसंस रोग के लिए सबसे अच्छा अस्पताल, पार्किंसंस रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा, पार्किंसंस रोग के होम्योपैथिक उपचार, पार्किंसन रोग के लक्षण, पार्किंसंस रोग हेतु तकनीक

पार्किंसंस की पूरी जानकारी: एक-एक कर के पढ़े

१. Tremors Meaning in Hindi [ हाथ-पांव की कंपन का मतलब और कारण! ]
२. Parkinson's Meaning in Hindi [ पार्किंसंस रोग का अर्थ ]
३. Parkinson’s symptoms in Hindi [पार्किंसंस रोग के लक्षण]
४. Parkinson's treatment in Hindi [पार्किंसंस का उपचार]
५. Parkinson's new treatment (DBS) in Hindi [पार्किंसंस रोग नए उपचार]
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!!

डॉ सिद्धार्थ खारकर

डॉ  सिद्धार्थ खारकर को "आउटलुक इंडिया" और "इंडिया टुडे" जैसी पत्रिकाओं ने मुंबई के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट्स में से एक के तोर पे पहचाना है.

डॉक्टर सिद्धार्थ खारकर न्यूरोलॉजिस्ट, मिर्गी  (एपिलेप्सी) विशेषज्ञ और पार्किंसंस विशेषज्ञ है।

उन्होंने भारत, अमेरिका और इंग्लॅण्ड के सर्वोत्तम अस्पतालों में शिक्षण प्राप्त किया है।  विदेश में  कई साल काम करने के बाद, वह भारत लौटे, और अभी मुंबई महरारष्ट्र में बसे है।

डॉक्टर सिद्धार्थ खारकर अंतरराष्ट्रीय पार्किंसंस और मूवमेंट डिसऑर्डर सोसाइटी के एक संशोधन गट के अंतरराष्ट्रीय संचालक है.

फोन 022-4897-1800

ईमेल भेजे

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Noted as one of the best Neurologists in Mumbai

India Today Magazine - 2020, 2021, 2022, 2023

Outlook India Magazine - 2021, 2023

Ex-Assistant Professor, University of Alabama, USA

Outlook India - Best neurologist in Mumbai