1. भारत में मिर्गी की सर्जरी क्यों की जाती है?
कुछ लोगों को दौरे पड़ते हैं. दिमाग में बिजली अनियंत्रित होने के कारण ऐसा होता है.
इस स्थिति को “मिर्गी” कहते हैं.
दवाइयां लेने के बाद करीब 80% मरीज़ों में दौरे पड़ने बंद हो जाते हैं.
लेकिन, 20% लोगों को 2 या अधिक दवाएं लेने के बाद भी दौरे पड़ते रहते हैं. इन मरीज़ों को “चिकित्सकीय रूप से प्रतिरोधी (रेझिस्टंट) मिर्गी” होती है.
दौरे रोकने के लिए उन्हें भारत में मिर्गी की सर्जरी करने की ज़रूरत होती है.
2. क्या भारत में मिर्गी की सर्जरी की जाती है?
हां. भारत में भी सभी प्रकार की मिर्गी की सर्जरी की जा सकती है.
अमरिका में मिर्गी की सर्जरी बहुत ही सामान्य है. बड़े अस्पतालों में (जैसे कि, यूसीएसएफ, जहां मैंने पढ़ाई की है) हर हफ्ते करीब 2-3 मिर्गी की सर्जरी की जाती है.
भारत में, मिर्गी की सर्जरी बहुत ही कम पैमाने पर की जाती है. इसका कारण है:
– मरीज़ों और डॉक्टरों को इसकी जानकारी नहीं है.
– मिर्गी की सर्जरी करने के लिए बहुत कम प्रशिक्षित डॉक्टर है.
– इसका खर्च
– जटिलताओं (कॉम्प्लीकेशन्स) का डर
– लेकिन सबसे ज़रूरी बात, बहुत से भारतीयों की यह दुखद, निराशाजनक और पूरी तरह से गलत धारणा है कि मिर्गी को नियंत्रित नहीं किया सकता. मिर्गी की सर्जरी कितने प्रकार से की जाती है?
भारत में मिर्गी सर्जरी कई प्रकार से की जाती है.
रिसेक्टिव (खराब हिस्सा निकालने की सर्जरी):
यह सबसे बढ़िया प्रकार की मिर्गी की सर्जरी है.
दिमाग में दौरा पैदा करनेवाले खराब हिस्से को निकाल दिया जाता है. इससे दौरे पड़ने बंद हो जाते है.
वेगस नर्व स्टिम्युलेशन (VNS):
कुछ मामलों में, रिसेक्टिव (निकालने की) सर्जरी मुश्किल होती है. अगर खराब हिस्सा बहुत बड़ा हो, या फिर दिमाग के महत्वपूर्ण हिस्सों के पास हो तो ऐसा हो सकता है.
ऐसे मामलो में, वेगस नर्व स्टिम्युलेशन (VNS) सर्जरी की जाती है. इस सर्जरी के लिए ज़्यादा समय नहीं लगता है.
छाती पर त्वचा के नीचे एक छोटी-सी बैटरी बिठा दी जाती है. गर्दन की त्वचा के नीचे की एक नस एक पतली तार से जोड़ दी जाती है.
VNS उपकरण दिमाग में बिजली की छोटी धाराएं छोड़ता है जिससे दौरे रुक जाते हैं.
दूसरी सर्जरियां:
खास परिस्थितियों में दूसरी सर्जरियां की जाती है. उदाहरण के लिए, मरीज़ अगर VNS का खर्च नहीं उठा सकता तो VNS की बजाय कॉर्पस कॉलोस्टॉमी की जा सकती है.
3. भारत में मिर्गी की सर्जरी से पहले कौन-कौन–से टेस्ट
करने की ज़रूरत होती है?
किसी भी मिर्गी की सर्जरी से पहले किए जानेवाले सामान्य टेस्ट्स की सूची नीचे दी गई है.
1. हमारे मरीज़ की मिर्गी किस प्रकार की है और उसे किस प्रकार के दौरे पड़ते हैं? 2. कौन-से हिस्से की वजह से दौरे पड़ रहे हैं? 3. क्या इसे सुरक्षित तरीके से निकाला जा सकता हैं? 4. सफलता की संभावना कितनी है? 5. क्या दूसरी सर्जरियां की जा सकती है? |
हम इन टेस्ट्स से जुड़े सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं:
कुछ मरीज़ों के मामले में, इन सवालों के जवाब देने के लिए ज़्यादा टेस्ट्स करने की ज़रूरत होती है. ज़्यादातर मरीज़ों में, इन टेस्ट्स की ज़रूरत नहीं होती है.
बहुत ही कम मामलो में, इन टेस्ट्स के बाद भी खराब हिस्सा कहां है यह पता नहीं चलता है. ऐसे समय, हमें सीधे दिमाग से ईईजी रिकॉर्ड़ करने की ज़रूरत होती है.
दिमाग में पतले तार डालकर ऐसा किया जाता है. इस प्रक्रिया को स्टीरियो-ईईजी कहा जाता है.
4. वीड़ियो ईईजी मॉनिटरिंग (मिर्गी की मॉनिटरिंग) में कौन-सी बाते शामिल है?
लगातार ईईजी मॉनिटरिंग करने के लिए मरीज़ को भर्ती किया जाता है. इस दौरान, हम दवाओं की मात्रा कम कर सकते हैं जिससे रोगी को दौरे पड़ने शुरू होते हैं.
हम हर प्रकार में से करीब 2 दौरे रिकॉर्ड़ करने कि कोशिश करते हैं.
उदाहरण के लिए, रोगी को एक दौरा पड़ता है जिससे वह गिर जाता है, और दूसरा दौरा पड़ता है जिससे वह होठों को चटकाता है, तो हम 2+2 = 4 दौरे रिकॉर्ड़ करते हैं.
यदि आपको बार-बार दौरे पड़ते है, तो मिर्गी की मॉनिटरिंग में सिर्फ 1-2 दिन लग सकते हैं. दूसरे लोगों में, 7 या उससे ज़्यादा दिन लग सकते हैं.
5. भारत में मिर्गी की सर्जरी कितने हद तक सफल होती है?
भारत में मिर्गी की सर्जरी की सफलता बहुत ही उच्च होती है, लेकिन 100% नहीं.
सफलता दर मिर्गी के प्रकार और मिर्गी की सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है.
उदाहरण के लिए:
· रिसेक्टिव सर्जरी की सफलता दर 80% से ज़्यादा हो सकती है.
· दूसरे सर्जरियों की सफलता दर कम होती है, लेकिन सामान्यत: बहुत अच्छी होती है.
· VNS के बाद, ज़्यादातर मरीज़ों के दौरों में 50% या उससे ज़्यादा की कमी आ जाती है. खासकर, ऐसे दौरे बड़े पैमाने पर कम हो जाते हैं, जिसमें मरीज़ गिर जाते हैं और खुद को चोट पहुंचाते हैं.
सर्जरी से पहले किए जानेवाले टेस्ट्स करने के बाद सफलता की दर के बारे में आपके साथ बात की जाएगी.
6. क्या मिर्गी की सर्जरी के बाद मुझे दवाएं लेने की
ज़रूरत नहीं पड़ेगी?
मिर्गी की सर्जरी का लक्ष्य है दौरों को रोकना.
भारत में मिर्गी की सर्जरी के बाद लगभग 50% मरीज़ अपनी दवाएं लेना बंद कर पाने में सक्षम होते हैं.
लेकिन, दूसरे मरीजों को अपनी दवाएं लेते रहने की ज़रूरत होती है. कुछ मरीज़ अपनी दवाओं की मात्रा कम कर पाने में सक्षम हो पाते हैं.
7. संभावित जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स) कौन-सी
हो सकती है?
किसी भी सर्जरी में एनेस्थीसिया और संक्रमण (इन्फेक्शन) से संबंधित कुछ जोखिम हो सकते हैं.
रिसेक्टिव सर्जरी में, आसपास के हिस्सों को नुकसान पहुंचने का डर लगा रहता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि खराब हिस्सा असल में कहां पर है.
यदि खराब हिस्सा दिमाग के महत्वपूर्ण हिस्सों के पास हो (उदा. बोलने का और स्मृति का क्षेत्र) तो सर्जरी बहुत ही सावधानी से करने की ज़रूरत होती है.
खुशी की बात है, कि रिसेक्शन के बाद दौरे रुकने से बहुत से लोगों में सोचने की और स्मृति की शक्ति में सुधार होता है. यह इसलिए, क्योंकि दिमाग के स्वस्थ हिस्से अच्छी तरह से काम कर रहे होते हैं.
सर्जरी से पहले किए जानेवाले टेस्ट्स के बाद सभी संभावित जटिलताओं (कॉम्प्लीकेशन्स) के बारे में आपसे बात की जाएगी.
कृपया ध्यान दीजिए, कि यह खर्च अनुमानित है और समय के साथ इसमें बदलाव होते रहता है. |
8.भारत में मिर्गी की सर्जरी का खर्च कितना आएगा?
हर मरीज़ का मूल्यांकन और सर्जरी अलग-अलग होती है, इसलिए हर मरीज़ का खर्च भी अलग-अलग होता है.
उदाहरण के लिए: यदि हमारे मरीज़ को बार-बार दौरे पड़ते हैं और उसे साधारण रिसेक्शन की ज़रूरत होती है, तो कुल खर्च 4.5 – 5 लाख के बीच आ सकता है. यह पूरा खर्च है, जिसमें सभी टेस्ट्स भी शामिल है.
टेस्ट | भारत में खर्च |
कदम 1: मूल्यांकन | |
MRI | रु. 12,000 |
PET और MRI-PET एकीकरण | रु. 15,000 |
फंक्शनल MRI (fMRI) | रु. 12,000 |
वीडियो-ईईजी मॉनिटरिंग (3 दिन) | रु. 30,000 x 3 = रु. 90,000 |
मनोरोग और न्यूरोसाइकोलॉजिकल टेस्ट | रु. 6,000 |
मूल्यांकन का कुल खर्च | रु. 1.35 लाख |
कदम 2: सर्जरी | |
इंट्राऑपरेटिव इलेक्ट्रोकॉर्टिकोग्राफी के साथ रिसेक्टिव सर्जरी | रु. 3.5 लाख |
कुल खर्च | रु 4.95 लाख |
VNS सर्जरी बहुत महंगी होती है. इस खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा होता है उपकरण का जिसे बाहर से मंगवाना पड़ता है.
टेस्ट | भारत में खर्च |
VNS प्रक्रिया का खर्च (बिठाने का खर्च) | रु. 1.5 लाख |
VNS उपकरण खर्च − डेमीपल्स | रु. 8.5 लाख |
VNS उपकरण खर्च − एस्पायर SR | रु. 10.5 लाख |
VNS उपकरण खर्च − सेंटिवा (नवीनतम मॉडेल) | रु. 14.5 लाख |
9. क्या मुझे (या मेरे बच्चे को)भारत में मिर्गी की सर्जरी
करवानी चाहिए?
यदि एक व्यक्ति को चिकित्सकीय रूप से प्रतिरोधी (रेझिस्टंट) मिर्गी है, तो सामान्यत: मैं उन्हें मिर्गी की सर्जरी करवाने के लिए कहता हूं, अगर:
मरीज़ को सचमुच चिकित्सकीय रूप से प्रतिरोधी (रेझिस्टंट) मिर्गी हो.
1. मरीज़ों का गलत निदान हो सकता है. उदाहरण के लिए, हृदय की गति से संबंधित समस्या या तनाव से संबंधित दौरे वाले लोगों में मिर्गी का गलत निदान हो सकता है.
2. कभी कभी, किसी एक प्रकार की मिर्गी के लिए दवा का प्रकार या दवा की मात्रा गलत हो सकती है.
3. कभी कभी, मरीज़ों को दौरे पड़ते हैं, क्योंकि वो अपनी दवाएं नहीं लेते हैं.
मरीज़ को संभावित जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स) स्वीकार्य होती है.
उदाहरण के लिए, यदि किसी का दाहिना हाथ मज़बूत होता है, लेकिन सर्जरी के बाद सूक्ष्म मोटर कौशल बदल जाते हैं, ऐसे में एक पेंटर के काम पर इसका बहुत बड़ा असर हो सकता है. लेकिन, अगर मरीज़ मजदूरी का काम करनेवाला हो तो शायद उसके काम पर इसका असर नहीं होगा.
मरीज़ को समझना चाहिए कि इसमें 100% गारंटी नहीं होती है. किसी भी सर्जरी में 100% गारंटी नहीं होती है.
10. यदि मैं सिर्फ दवाएं लेते रहने का निर्णय लेता हूं
तो तब क्या?
इस बात की संभावना है कि भविष्य में मिर्गी की नई दवाएं खोजी जा सकती है. लेकिन, दवा प्रतिरोधी (रेझिस्टंट) मिर्गी के इतिहास को समझना बहुत ज़रूरी है.
सन 2000 में, डॉ. क्वान और डॉ. ब्रॉडी ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया. उन्होंने पता लगाया कि यदि मिर्गी की दो दवाएं काम नहीं कर रही हो, तो सिर्फ दवाओं की मदद से मिर्गी के दौरे रोकने की संभावना 5% से भी कम होती है.
उस अध्ययन के 20 से भी ज़्यादा साल बाद, मिर्गी की कई नई दवाओं को खोजा गया है. इनके दुष्परिणाम बहुत ही कम है, लेकिन दुख की बात है, कि इनकी प्रभावकारिता में कुछ खास फर्क नहीं है (नीचे देखिए).
जिन मरीज़ों पर दवाओं का कोई असर नहीं होता है ऐसे मरीज़ों की गिनती लगभग वही रही है.
11. नवीनतम दवाओं के बारे में क्या?
मैं पेरमपनेल नामक एक नई दवा के बारे में आशावादी था, क्योंकि मिर्गी के दौरे की दूसरी दवाओं की तुलना में यह दवा पूरी तरह से अलग तरीके से काम करती है.
दुख की बात है, कि मैंने और दूसरे न्यूरोलॉजिस्टो ने पाया है कि चिकित्सकीय रूप से प्रतिरोधी (रेझिस्टंट) मिर्गी वाले बहुत से लोगों में यह ज़्यादा असरदार नहीं है.
दूसरी कई “नवीनतम” दवाएं जैसे कि एस्लिकार्बाज़ेपीन, पुरानी दवाओं (कारबामाज़ेपीन) के समान ही है, बस उनमें बहुत ही मामूली सा फर्क है.
उदाहरण के लिए, एस्लिकार्बाज़ेपीन दिन में एक बार ली जा सकती है, जबकि कारबामाज़ेपीन दिन में दो बार लेने की ज़रूरत होती है.
12. प्रतीक्षा करने में कौन-सी संभावित जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स) हो सकती है?
मैं भी आशा करता हूं कि भविष्य में बहुत ज़्यादा असरदार दवाएं उपलब्ध होंगी. लेकिन, इलाज तो हमें अभी करवाना है ना.
प्रतीक्षा करने के कुछ नुकसान है.
1. यदि मिर्गी की सर्जरी से एक व्यक्ति मिर्गी के दौरों से मुक्त हो सकता है, तो प्रतीक्षा करने का मतलब है जीवन के कीमती और उत्पादकता से भरपूर साल बर्बाद करना.
2. जिन मरीजों को बार-बार दौरे पड़ते हैं उनके लिए दिमाग को नुकसान पहुंचना चिंता का विषय है. ऐसे मामलों में प्रतीक्षा करने से उनमें सोचने और स्मृति से संबंधित स्थायी समस्याएं पैदा हो सकती है.
3. यदि मरीज़ को बहुत से दौरे पड़ते होंगे, तो दिमाग के दूसरे हिस्से भी असामान्य हो सकते हैं और वो भी दौरे पैदा कर सकते हैं.
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!! |